सोमवार, 29 मार्च 2021

कुछ ऐसी भी बातें होती हैं....

अब क्या करना है
ये जिंदगी और मिल भी
गई तो क्या? 
अब वक्त ही नही है 
इन सभी बातों के लिए
इन सभी जज़्बातों के लिए
हर बात के लिए 'वक्त'
 मुकर्रर किया गया है यहाँ
उस वक्त पर जो नही हुआ
वो नही हुआ
फिर कभी नहीं हुआ
क्योंकि गलत वक्त पर
किया गया काम 
किसी काम का नही हुआ 
उसमें वो बात  ही नही होती 
जो समय पर होने से है होती 
वगैरह वगैरह वगैरह
न जाने ऐसे कितने ही सवाल 
उम्र के ढलने पर
जवानी के दौर गुजरने पर
जहन में जन्म लेते है
या लेने लग जाते है 
क्योंकि 
उम्र के उस पड़ाव पर
आदमी खड़ा होता है
या  हम खड़े होते है 
जहाँ इच्छाये  
साथ छोड़ने लग जाती हैं
जिंदगी जीने का 
सलीका जान जाती है, 
यही है जिंदगी
जब तक रास्ते समझ में आते है
तब तक लौटने का समय 
होने लगता हैं
धीरे धीरे हर बात से 
नाता टूटने लगता हैं, 
तभी 
आदमी की सोच को 
तथास्तु  तथास्तु  तथास्तु 
कह कर समय 
अपनी रफ्तार का 
अहसास कराता हैं
जो होना था 
सो हो गया
जो है ,उसमें खुश रहने की 
नसीहत दे जाता हैं  । 

गुरुवार, 25 मार्च 2021

रंग पर्व.....

ये रंग हो प्यार का

ये रंग हो बहार का

ये रंग भरे जज्बातों में

ये रंग भरे अहसासों में ,

ये रंग हो सच्चे रिश्तों का

ये रंग हो गहरे रिश्तों का

ये रंग हों उम्मीदों के 

ये रंग हो विश्वास के

ये रंग हो सपनो के

ये रंग हो अपनों के

ये रंग हों इजहार का

ये रंग हों इकरार का 

ये रंग हों उत्साह का

ये रंग हों उमंग का 

ये रंग बेरंग न हो

किसी बात से ।

ये रंग न हो

जीत -हार के

ये रंग न हो

द्वेष -दुर्व्यवहार का ,

ये रंग ना हो जात पात का

ये रंग हों खुशियों भरे

त्यौहार का 

ये रंग हों सुंदर 

सुंदर व्यवहारों का 

ये रंग हों सिर्फ

प्यार का

ये रंग हों सिर्फ

बहार का   । 

आप सभी को रंगों भरे त्यौहार होली की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई हो, 


सोमवार, 22 मार्च 2021

एक जीत नजर आती है... ......

 है कठिन जमाना लिए दर्द गहरे 

अन्यायों की दीवारों में ,

जख्मो की बेड़िया पड़ी हुई है

परवशता के विचारो में ।

रोते -रोते मोम के आँसू

बदल गये अब सिसकियो में ,

हर दर्द उठाती है मुस्कान

इस बेदर्द जमाने में 

 छिपाये नही छिपते है आंसू

हकीकत के इन आँखों में ,

एक जीत नजर आती है जिंदगी

जीवन के इन हारो में ।

रात को रौशन कर देगी कभी

चाँदनी अपने उजालो में ।

शुक्रवार, 19 मार्च 2021

गुजारिश

दुर्घटनाओ की उठी लहरों को

फना करो ,

आकांक्षा की वधू को

सँवरने दो ,

उठे  यहाँ ऐसी आंधी कोई

मांझी
 कश्ती का रुख मोड़ दो

उमंग भरी मौजों की कश्ती

साहिल पे आने दो ,

फिजाओं में मस्तियों को 

लहराने दो

कारवां जब  हो निगाहों में

जुस्तजू सिमटी हो बाँहों में ,

ऐसे खुशनुमा माहौल में

किसी तूफ़ान का ज़िक्र  करो । 

मंगलवार, 16 मार्च 2021

मेरी दिली तमन्ना है

मेरी दिली तमन्ना है
इस दुनिया की तस्वीर बदल जाये
मेरे रहते मेरे सामने ही
ये दुनिया सँवर जाये , 
सुख- दुख आपस के बाँट सके
मिलजुल कर जीना आ जाये
जीवन का सार समझ ले सब
जीना आसान बना जाये, 
सोने की चिड़ियाँ भले न हो
मन सबका सोना हो जाये, 
बुरी बातों से तोड़ कर नाता
अच्छी बातों के संग हो जाये, 
जीवन की ही नही सारी
दुनिया की तस्वीर बदल जाये 
दिन भी रौशन होता रहे 
रात भी जगमग हो जाये। 
मेरी दिली तमन्ना है.......। 

शनिवार, 13 मार्च 2021

द्वेष- क्लेश


रिश्तों के आपसी द्वेष ,
परिवार का
समीकरण ही बदल देते है ,
घर के क्लेश से दीवार
चीख उठती है ,
नफरत इर्ष्या
दीमक की भांति ,
मन को खोखला 
करती जाती है
जिंदगी हर लम्हों के साथ
कयामत का इंतजार 
करती कटती है 
और विश्वास चिथड़े से
लिपट कर 
सिसकियाँ भरा करता है 

बुधवार, 10 मार्च 2021

बचपन की हर तस्वीर.......

बीते दिनो की हर बात निराली लगती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है .

पहली बारिश की बूंदो मे
मिलकर खूब नहाते थे ,
ढेरो ओले के टुकड़ों को
बीन बीन कर लाते थे .

इन बातो मे शैतानी जरूर झलकती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती हैै .

सावन के आते ही झूलें

पेड़ो पर पड़ जाते थे ,

बारिश के  पानी मे बच्चे
कागज की नाव बहाते थे ,

बिना सवारी  की वो नाव भी अच्छी लगती है 
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।

पल में रूठना पल में मान  जाना 
बात बात में मुँह का फूल जाना ,
जिद्द में अपनी बात मनवाना 
हक से सारा सामान जुटाना ,

खट्टी मीठी बातों की हर याद प्यारी लगती है 
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।

कच्ची मिट्टी की काया थी 
मन मे लोभ न माया थी ,
स्नेह की बहती धारा थी 
सर पर आशीषों की छाया थी ,

चिंता रहित बहुत ही मासूम सी जिंदगी लगती है 
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है।

सोमवार, 8 मार्च 2021

युग परिवर्तन

युग परिवर्तन

न तुलसी होंगे, न राम

न अयोध्या नगरी जैसी शान .

न धरती से निकलेगी सीता ,

न होगा राजा जनक का धाम .

फिर नारी कैसे बन जाये

दूसरी सीता यहां पर ,

कैसे वो सब सहे जो

संभव नही यहां पर .

अपने अपने युग के अनुसार ही

जीवन की कहानी बनती है ,

युग परिवर्तन के साथ

नारी भी यहॉ बदलती है ।

गुरुवार, 4 मार्च 2021

एक दूजे का साथ जरूरी है


महिलाओ को एक दूजे का 
साथ जरूरी है ,

हक -सम्मान का आपस में
लेन -देन जरूरी है ।

तभी मिटेगी किस्मत की
अँधेरी तस्वीर ,

धो देगी मन के मैल सभी
संगम धारा की नीर ।

फूट पड़ेगी प्रेम की धारा
प्रीत की रीत से ,

बदल जायेगी हर तस्वीर
संगठन की जीत से ।

हर राह सुलभ हो जायेगी
एकता की जंजीर से ,

अरमानो के फूल खिलेंगे
सुखे हुए हर वृक्ष से ।

नारी से बेहतर नारी को
कौन समझ पायेगा

मिल जायेगी जहां ये शक्तियां
फिर कौन हरा पायेगा ?
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महिला दिवस की सबको बधाई इन पंक्तियों के साथ
एक पल ठहरे जहां जग हो अभय 
खोज करती हूँ उसी आधार की ।