गुरुवार, 1 अप्रैल 2021

कुछ दिल ने कहा

अच्छे को अच्छे बोल देने मे क्या बुराई है
अच्छाई से आखिर हमारी क्या  लड़ाई है
ये तो हर दिल को अजीज होती हैं
इसमें ये क्या देखना अपनी है या पराई है । 
🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳
जिस बात के लिए 
बहुत सोचना पड़ता है
उस बात को फिर 
पीछे छोड़ना पड़ता है  । 
🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴
दिमाग वालों से यहाँ 
कौन भिड़ता है
वेबकूफ़ों से ही तो
हर कोई लड़ता है। 
🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿
सच ही कभी कभी 
हमें स्वीकार नहीं होता
आँखों देखे पर भी
 हमें विश्वास नहीं होता। 
🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀
हर कोई बैठा है इसी इंतजार में
कब सब अच्छा होगा इस संसार में  । 
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
वक़्त की मांगे करवटें लेती रहती हैं
उम्मीदें बहुत कुछ बदल देती हैं 
आगाज से बहुत अलग अंजाम होता है
अंत में सब लकीरों के नाम होता है  । 

16 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०३-०४-२०२१) को ' खून में है गिरोह हो जाना ' (चर्चा अंक-४०२५) पर भी होगी।

    आप भी सादर आमंत्रित है।

    --
    अनीता सैनी

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  2. बहुत बहुत धन्यबाद अनीता, हार्दिक आभार

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  3. अच्छाई को अच्छाई कहने भी कुछ लोगों को हिचक होती है ... क्या किया जाये फिर ?

    मुझे तो लगता कि बेवकूफों से लड़ा नहीं जाता ...बेवकूफ लोग लड़ते हैं ....

    वैसे आज दिल क्या तफरीह के मूड में है जो ऐसा कुछ सोच रहा .. :):)

    मस्त रहो सवस्थ रहो ...

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  4. आपकी बातें पढ़ कर हँसी आ गयी, सही कहा दिल के मूड का कोई भरोसा नहीं संगीता जी,
    मूड मूड की बात है
    वक्त वक्त की बात है
    कभी ओले बरसते हैं
    कभी प्यार की बरसात होती हैं।
    ऐसे ही किसी मूड में दिल ने ये सभी कह दिया,
    ये भी खूब कहा , बेवकूफ लोग लड़ते हैं, मगर अफसोस इसी बात का है वो अपने को बेवकूफ समझते नही है, समझदार को ही बेवकूफ समझते हैं ,आपका आना सुखद रहा, आनंद ही आनंद, बहुत बहुत धन्यबाद

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  5. बिलकुल सटीक सार्थक बहुत सुन्दर रचना है

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  6. अच्छे को अच्छे बोल देने मे क्या बुराई है
    अच्छाई से आखिर हमारी क्या लड़ाई है
    ये तो हर दिल को अजीज होती हैं
    इसमें ये क्या देखना अपनी है या पराई है ।
    अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति ज्योति जी ।

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  7. अच्छे को अच्छा बोल ने से कुछ महान लोगों की नाक कटती है, उन्हें नुक्ताचीनी की आदत होती है सखी ।
    सहज सरल सी अभिव्यक्ति आपकी अंतिम पंक्तियां शानदार सटीक।

    "आगाज से बहुत अलग अंजाम होता है
    अंत में सब लकीरों के नाम होता है । "
    सुंदर सृजन।

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  8. बहुत ही सुखद संदेशों से भरी आपकी रचना किस किस को पढ़ाएं, किस किस को समझाएं कि देखो आपने कितना सुंदर लिखा है,जरा समझो,सुनो और अपनी खुदी में इतना भी न रहो, कि किसी के लिए दो मीठे शब्द बोलने में तुम्हें इतनी हुज्जत करनी पड़ रही है,और कुछ ऐसे महान लोग भी है हमारे आसपास जो तारीफ की संस्कृति को जिंदा रखने में जी जान से जुटे हुए हैं,आपकी हर बात आत्मसात करने की जरूरत बहुत लोगो को है,सादर नमन ।

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