जिंदगी की खरीदार है दुनिया,
मोल खुशी का है नही कोई
गम की हिस्सेदार है दुनिया,
सच की कीमत को न समझे
झूठ का करती व्यापार है दुनिया,
सौदा करने का ढंग न आये
हिसाब मे बड़ी बेकार है दुनिया,
रिश्तों की पहचान है मुश्किल
रहस्य भरी किरदार है दुनिया,
समझदारों की कमी नहीं है
फिर क्यों नही समझदार है दुनिया,
राह है सीधी ,सफर है मुश्किल
कैसी ये बरखुरदार है दुनिया ।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2022...वक़्त ठहरता नहीं...) पर गुरुवार 28 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंआभार , धन्यबाद रविंद्र जी
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार ओंकार जी नमन
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 29-01-2021) को
"जन-जन के उन्नायक"(चर्चा अंक- 3961) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंवाह!गज़ब का सृजन आदरणीय दी।
जवाब देंहटाएंमोल खुशी का है नही कोई
गम की हिस्सेदार है दुनिया..वाह!👌
समझदारों की कमी नहीं है
जवाब देंहटाएंफिर क्यों नही समझदार है दुनिया,
बहुत ही सटीक अभिव्यक्ति।
सारगर्भित तथ्यों को उठाती सुन्दर कृति..
जवाब देंहटाएंउम्दा अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक अभिव्यक्ति।
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