मंगलवार, 18 अगस्त 2009

द्वेष

बाढ़ की चपेट में

सारा गाँव ,

आतंक कुछ क्षेत्र का

आतंकित सारा समाज ,

आतंकवादी कुछ एक

शिकार सम्पूर्ण देश

चलो ढूंढें ऐसी जगह

हो ,जहाँ सांप्रदायिक दंगे

हो , कोई क्लेश

टूट गया इंसानियत का ढांचा

वज़ह रही एक द्वेष ।

7 टिप्‍पणियां:

  1. "चलो ढूंढें ऐसी जगह
    न हो ,जहाँ सांप्रदायिक दंगे
    न हो , कोई क्लेश।"

    बेहतरीन भावों से सजी-सँवरी रचना।
    बधाई।

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  2. वाह बहुत बढ़िया लगा! आपकी हर एक रचनाएँ मुझे बेहद पसंद है!

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  3. ऐसा जहां तो मिल कर बनाना पड़ेगा ............. जो हम सब कर सकते हैं ........... सुन्दर भाव हैं आपकी रचन में ......

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  4. चलो ढूंढें ऐसी जगह
    न हो ,जहाँ सांप्रदायिक दंगे
    न हो , कोई क्लेश ।

    यह खोज मुश्किल है लेकिन असंभव नहीं.....

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