रविवार, 31 जनवरी 2010

हिन्दुस्तान ....



हर मजहब से यहाँ मोहब्बत निभाते देखा


हर दिलो में यहाँ हिन्दुस्तान मुस्कुराते देखा


एक तिरंगा लहराता है सबके दिलो में


भेदभाव से हो जुदा हिन्दुस्तान पलते देखा


'िले सुर मेरा तुम्हारा ,तो सुर बने हमारा '


यही गीत तो जुबां-जुबां पे गुनगुनाते देखा


'ारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा '


हर दिलो में अहसास यही गूंजते देखा


'परहित सरस धर्म नहीं भाई '


मानवता से बढ़कर रिश्ता नहीं देखा


की इबादत हमने अक्सर यहाँ इंसानियत की


'जय हिंद 'के नारे में नफरत मिटाते देखा


हर दिलो में ही ईमान जगमगाते देखा


कदम -कदम पर हिन्दुस्तान मुस्कुराते देखा


है हल्की सी बस एक धुंध ही यहाँ


धूप के आते ही कोहरा छटते देखा


है आकाश सारा और धरती जिसकी


सारे जहां में दूजा हिन्दुस्तान नहीं देखा

20 टिप्‍पणियां:

  1. देश भक्ति से ओत प्रोत एक सच्ची रचना

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  2. ज्योति सिंह जी आदाब

    की इबादत.........
    जयहिंद के नारे में नफरत मिटाते देखा..
    सच कहा आपने..
    वतन के लिये हम सब एक हैं

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  3. आशा और विश्वास की उमंगे जगाता आपका गीत ......... सच है सबसे प्यारा .... सबसे न्यारा ..... हिन्दुस्तान हमारा ........

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  4. vah
    ise khte hai desh prem ka jajba .aaj ke is mahoul me bhi skaratmk vichar hi nek insan banne ki prerna dete hai .bahut badhiya abhivykti .
    jay bhart

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  5. deshbhakti ki is pawan dhara me aap sabhi ko shamil hote dekh bahut khushi hui iske liye dil se aabhari hoon .sangthan yoon hi bana rahe ,sahi disha ki or badhta rahe ,jai hind .
    mirza ji aapke aadaab me hajaro aaftaab raushan ho rahe hai aur blog ko jagmaga rahe hai ,sach kaha aapne vatan ke liye hum ek hai .kaale ,gore ka bhed nahi ,har dil se hamara nata hai ,hai preet jaha ki reet ....

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  6. धन्य यह देश हमारा । शुभकामनायें ।

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  7. बहुत ही बढ़िया रचना...बधाई...

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  8. aapke hriday mein jo desh prem ka zajba dekha ...man nat mastak ho gaya..
    sach desh-prem se bhari aapki kavita..hriday mein ek lahar utha gayi..
    aapki lekhni ka naman..
    bahut sundar..
    badhaii..

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  9. सारे जहां में दूजा हिन्दुस्तान नहीं देखा ।
    है ही नहीं हिन्दुस्तान सा दूजा कोई

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  10. सबसे न्यारा ..... हिन्दुस्तान हमारा .....

    नोट: लखनऊ से बाहर होने की वजह से .... काफी दिनों तक नहीं आ पाया ....माफ़ी चाहता हूँ....

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  11. शब्द-शब्द से देश भक्ति झलक रही है. दूसरों को प्रेरित कर रही है, देश पर न्योछावर हो जाने के लिये.

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  12. Kya gazab kee rachna hai aapki..eeshwar kare,hamara desh aisahi bana rahe..koyi gair na dast andaz rahe!

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  13. बहुत बढिया । कश्‍मीर से कन्‍याकुमारी तक भारत एक है । सामयिक लिखा है ।

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  14. jyoti ji sach hai
    saare jahaan se achchha hindostan hamara
    mazhab nahin sikhata aapas men bair rakhna
    hindi hain ham watan hai hindostan hamara
    badhai ho

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