गुरुवार, 4 मार्च 2010

आशा की किरण



तुम दुआ हो हमारे


या अँधेरी रात में


जगमगाते सितारे ,


हवा से जहाँ


बुझ गए दिए ,


वहां जुगनू बन


राह रो़शन किए ,


तुम्हारी


हक अदायगी


दीवानगी पे ,


हमने सर ही नही ,


दिल भी झुका दिये

13 टिप्‍पणियां:

  1. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह ...ज्योति जी गज़ब का लिखतीं हैं आप .......!!

    जवाब देंहटाएं
  3. सर इतना झुका कि दिल के पास आ गया।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी पोस्ट हम तो आपकी रचना पर भी सर और दिल दोनों झुका रहे हैं

    जवाब देंहटाएं
  5. ......तुम्हारी हर अदा व दीवानगी पर
    हमने सर ही नहीं दिल भी झुका दिये...
    .वाह ज्योति जी, वाह ...ये बहुत खूब हैं

    जवाब देंहटाएं
  6. ज्योति जी ,बहुत सुंदर,कैसे आ जाते हैं ऐसे विचार
    और कैसे उसे शब्द दे देती हैं आप ,बधाई हो

    जवाब देंहटाएं
  7. वह खुदा ही है.....सजदे में सर झुका रौशनी का मान किया

    जवाब देंहटाएं
  8. जो जीवन में राह दिखाए उसके सामने सर झुकाना ही चाहिए ,... अच्छा लिखा है ..

    जवाब देंहटाएं
  9. jyoti ji aapki post ki ye lines
    हमने सर ही नही ,
    दिल भी झुका दिये

    padh kar ek gane k bol yaad aa gaye...

    neeva (jhuk) ho ke chal o bandeya (insan)....
    neeviya nu (jhuke huo ko) rab milda..

    तुम दुआ हो हमारे
    या अँधेरी रात में
    जगमगाते सितारे ,

    ye apni apni soch k upar hai...

    acchi positive attitude deti rachna.

    जवाब देंहटाएं
  10. तुम दुआ हो हमारी या अँधेरी रात में जगमगाते सितारे... बहुत बढ़िया कुछ ही शब्दों में बहुत कुछ कह दिया है

    जवाब देंहटाएं