शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010

आशा -किरण

फिर सुबह होगी ,

फिर प्रकाश फैलेगा ,

फिर कोई नए ख्वाब का

दिन सुनहरा होगा ।

फिर पलकों पे सपने सजेंगे ,

उन सपनो में अरमान पलेंगे ,

उम्मीदों के दामन थामे ,

सारी रात जगेंगे ।

मन न कर तू छोटा

ख़ुद से कहते रहेंगे ,

स्वप्न कहाँ होते है पूरे

पर तेरे पूरे होंगे ।

आशाओ को थाम जकड़ के

सारी उम्र रटेंगे ,

हम भी अन्तिम साँसों तक ,

अपने ख्वाब बुनेंगे ।

मिथ्या आसो से बंधकर

सपनो से वादे होंगे ,

अनजाने में ही सही

कभी उम्मीद तो पूरे होंगे ।

पंखहीन होकर भी हम

आशाओ के उड़ान भरेंगे ,

कुछ ख्वाब हमारे ऐसे ही

ठहर कर पूरे होंगे ।

निराश न कर तू मन

कुछ ऐसे वक्त भी होंगे ।

ज़िन्दगी इतनी आसानी से

देती कहाँ सभी कुछ ,

संघर्षो के बिना है होता

हासिल कहाँ हमें कुछ ।

भाग्य रेखाओ को झुठलाते

आगे बढ़ते जायेंगे ,

रेखाओ के खेल है

बनते -मिटते रहते है ,

हर नए दिन जो आते है ,

उम्मीद लिए ढलते है ।

वादे तो ख्वाबो में पलते है ,

ये सिलसिले यूही चलेंगे ।

........................................................

16 टिप्‍पणियां:

  1. aisee bhee kya baat hai jee jaroor khwab poore honge............
    :)
    shubhkamnae .

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  2. ज़िन्दगी इतनी आसानी से देती कहां सभी कुछ
    संघर्षों के बिना है होता कहां हमें कुछ............
    भाग्य रेखाओं को झुठलाते.....आगे बढ़ते जायेंगे.
    वाह....जीवन के इस सकारात्मक पक्ष को
    इतनी खूबसूरती से रखने के लिये बधाई ज्योति जी.

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  3. नींद आ रही थी अब आशा -किरण जाग गई हैं ......................

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  4. प्रभात काल ब्रह्म मुहूर्त में,, सपने सजाने अरमान पालने आशा की किरण और प्रकाश की उम्मीद में ,,रचना पढी |
    सच है व्यक्ति अपनी अन्तिम सांस तक सपने बुनता रहता है लेकिन यहाँ ""कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता "निराश न कर मन तू लाइन बहुत उत्साह वर्धक है कभी कहा गया था "" नर हो न निराश करो मन को""
    यह भी सच है रेखाओ के खेल बनते मिटते रहते है ।जीवन जीने की प्रेरणा देती उत्तम ऱचना

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  5. भाग्य रेखाओ को झुठलाते
    आगे बढ़ते जायेंगे ,
    रेखाओ के खेल है
    बनते -मिटते रहते है ,
    सुंदर अभिव्यक्ति!

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  6. पंखहीन होकर भी हम
    आशाओ के उड़ान भरेंगे ,
    कुछ ख्वाब हमारे ऐसे ही
    ठहर कर पूरे होंगे ।
    बहुत खूबसूरती से सकारात्मक उर्जा से रूबरू करवाया आपने.आभार

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  7. संघर्षो के बिना है होता
    हासिल कहाँ हमें कुछ ।
    भाग्य रेखाओ को झुठलाते
    आगे बढ़ते जायेंगे ,-

    -बहुत ही अच्छी आशावादी कविता .
    आप के सभी सपने पूरे हों ,शुभकामनयें .

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  8. आपके नए ख्वाबों की उम्मीद यूँ ही सजती रहे .....!!

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  9. bahut hi achi kavita hai Jyoti ji.
    Bahut badhiya. kaphi samay baad aaya aapke blog pe, par sarthak ho gaya aana.

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  10. बहुत सकारात्मक सोच को लिए खूबसूरत कविता

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