गुरुवार, 25 अगस्त 2011


हम -तुम -------
एक ही रास्ते के

दो मोड़ है ,

जो पलट कर

उसी राह ले आते है

जहां आरम्भ और अंत

एक हो जाते है ,

फिर सोचने की कही

कोई गुंजाइश नही

रह जाती ,

फैसले की कोई सुनवाई

हो ही नही पाती l

36 टिप्‍पणियां:

  1. Prem ki raah mein Prem karne waale EK hi raaste ke do mod hote hain.... Sundar rachna hai....

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  2. इसीलिए तो कहते हैं की ये दुनिया गोल है.

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  3. बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने ! शानदार प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  4. क्या बात है ज्योति जी,
    आपने अच्छी भूल भुलैया प्रस्तुत की है.
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

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  5. वहीं से शुरु , वहीं पे खतम , वाह क्या बात है !!

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति |बधाई
    आशा

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  7. हम तुम....
    अच्छी रचना.
    साधुवाद!
    आशीष
    --
    मैंगो शेक!!!

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  8. क्या बात है...
    बहुत अच्छी रचना...
    सादर...

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  9. बहुत ही अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका निमंत्रण है । धन्यवाद ।

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  10. Jyoti jee आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
    आप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए..
    MADHUR VAANI कृपया यहाँ चटका लगाये
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  11. ज्योति जी ,
    बहुत दिनों के बाद आपके पोस्ट पर आया हूँ । सच कहा है आपने कि जीवन में कभी ऐसे मोड़ पर हम पहुँच जाते हैं जहां परिस्थितियां विवश सी कर देती हैं एवं हमें समानांतर रेखा के रूप में अपनी पहचान बना लेने के लिए बाध्य कर जाती हैं । धन्यवाद ।

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  12. मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,ज्योति जी.

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  13. आपको सपरिवार
    नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  14. ज्योति जी, आपको बहुत मिस कर रहे हैं हम.

    दीपावली और गोवर्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    जल्दी दर्शन दीजियेगा जी.

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  15. आपका बहुत दिनों से कोई समाचार नही मिला है.
    परन्तु आज आपको प्रवीण जी के ब्लॉग पर देखकर बहुत खुशी मिली मुझे.

    आशा है आप स्वस्थ और कुशल मंगल से होंगीं.
    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.

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  16. बहुत सार्थक प्रस्तुति, सुंदर रचना,बेहतरीन पोस्ट....
    new post...वाह रे मंहगाई...

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