गुरुवार, 12 सितंबर 2013

क्या .......?







क्या  कहा  जाये 
क्या  सुना  जाये 
इस  क्या  से  आगे  
यहाँ  कैसे  बढ़ा  जाये
समझ  आता  नहीं  ,
क्योंकि  ये  दुनिया  अब  
पहले  जैसे  सीधी  रही  नहीं  ,
तभी  आसान  बात  भी 
मुश्किल  नज़र  आती  है  ,
किसी  से  कहे  कुछ 
उसे  समझ  कुछ 
और  आती  है  । 
शायद  इसलिए  ज़िन्दगी  अब ,
लम्हों  में  बिखर  जाती  है  । 

6 टिप्‍पणियां:


  1. जीवन की कशमकश को अच्छी अभिव्यक्ति दी है ज्योति अपनी कविता में .
    -- ज़िन्दगी यूँ ही कतरा कतरा गुजारी जाती है.

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  2. जीवन तो कभी भी आसान नहीं रहा .. द्वंद को बयाँ करती सुन्दर रचना ...

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  3. ये दस्तूत है दुनिया का ... पहले सा कुछ भी नहीं रहता सिवाए मन के ... कुछ यादों के ...
    ओर जीवन बीत जाता है ऐसे ही ...

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