काव्यांजलि
रविवार, 20 अक्तूबर 2013
मोहब्बत .........
मोहब्बत में आदमी जीता कम
मरता ज्यादा है ,
पाने से अधिक खोने के लिए
डरता ज्यादा है ,
यकीं कम ,उम्मीद के सहारे
चलता ज्यादा है ,
तभी संभल नही पाता और
गिरता ज्यादा है ।
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