रविवार, 20 अक्तूबर 2013

मोहब्बत .........

मोहब्बत   में  आदमी  जीता  कम 
मरता  ज्यादा  है  ,

पाने  से  अधिक  खोने  के  लिए  
डरता  ज्यादा  है  ,

यकीं  कम  ,उम्मीद  के  सहारे  
चलता  ज्यादा  है  ,

तभी  संभल  नही  पाता  और 
गिरता  ज्यादा  है  । 


8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर रचना !काफी दिनों बाद आपकी पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा,नियमित लिखती रहे,,

    RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.

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  2. बात तो सच कही है आपने ... पर मुहब्बत पे बस कहां होता है ... ये रोग तो आप ही लग जाता है ...

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  3. बहुत सुंदर रचना है ज्योति
    और हाँ बहुत बहुत बधाई हो ,,सुना है नानी बन गईं :)

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  4. बड़ी सच्ची बात लिखी है ज्योति !
    [नानी बनने की बधाई!]

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  5. ज्योति जी , सरसपायस से ही आपको जाना था आज वहीं से आपके ब्लाग का पता चला है । अच्छा लगा । कविता सुन्दर है । दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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