गुरुवार, 7 मार्च 2019

बचपन की तस्वीरे

काव्यांजलि

बीते दिनो की हर बात निराली लगती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है .

पहली बारिश की बूंदो मे
मिलकर खूब नहाते थे ,
ढेरो ओले के टुकड़ों को
बीन बीन कर लाते थे .

इन बातो मे शैतानी जरूर झलकती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती हैै .

सावन के आते ही पेड़ो पर
झूले पड़ जाते थे ,
बारिश के  पानी मे बच्चे
कागज की नाव बहाते थे ,

बिना सवारी  की वो नाव भी अच्छी लगती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।

पल में रूठना पल में मान  जाना
बात बात में मुँह का फूल जाना ,
जिद्द में अपनी बात मनवाना
हक से सारा सामान जुटाना ,

खट्टी मीठी बातों की हर याद प्यारी लगती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।

कच्ची मिट्टी की काया थी
मन मे लोभ न माया थी ,
स्नेह की बहती धारा थी
सर पर आशीषों की छाया थी ,

चिंता रहित बहुत ही मासूम सी जिंदगी लगती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है।

12 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है

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  3. बहुत सुंदर रचना यादों का बचपन साकार हो गया।
    अप्रतिम सुंदर ।

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  4. ब्लॉग बुलेटिन टीम की और रश्मि प्रभा जी की ओर से आप सब को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ |


    ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 08/03/2019 की बुलेटिन, " आरम्भ मुझसे,समापन मुझमें “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  5. बचपन के दिन भी क्या दिन थे

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  6. बेहद खूबसूरत और दिलकश रचना ,बचपन की सारी यादें ताज़ा हो गई ,सादर नमन

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