शुक्रवार, 31 जुलाई 2009

चाह

ले चल 'खुदा ' मुझे वहां

जहाँ दिल ये सुकूं पाये

प्रेम -भावना का आशियाना

हमारी ज़मीं बसाये ,

खुली फिजाओ में बाहे फैलाकर

आजाद खयालो के संग लहराये ।

मेरी तन्हाई , मेरे अरमान

मेरे साथी बन ,

ऊँची उड़ानो के पंख फैलाये ।

8 टिप्‍पणियां:

  1. aha, kitni vishwaspurna madhur kalpana,kyun na satya ho jaaye?

    bahut cute rachna.badhai.

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  2. आमीन..... ऐसा ही हो.... लाजवाब लिखा है.

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  3. आमीन..... ऐसा ही हो.... लाजवाब लिखा है.

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  4. ईश्वर आपकी मनोकामना पूर्ण करे............

    सुन्दर भावपूर्ण रचना पर हार्दिक बधाई.

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  5. बढ़िया पोस्ट लगाई है।
    मित्रता दिवस पर शुभकामनाएँ।

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