हर रोज़ ज़िन्दगी की एक
नई कहानी होती है ।
इस गुजरते वक्त की न जाने
क्या -क्या मेहरबानियाँ होती है ।
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कहाँ जाना था ,कहाँ से
गुजर गए हम ।
इस तूफानी रात के साये से
लिपट गए हम ।
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कई ख्वाहिशे इर्द -गिर्द समेटे
इंसान जीता है ,
किसी को तोड़ता व
किसी को जोड़ता है ।
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किसी बिम्ब को आप
प्रतिबिम्ब बना लीजिये ,
आइने में जिसे चाहे
उसे छुपा लीजिये ।
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अमृत
के प्यालो
में ,
विष भी ज़रा -ज़रा
गुनाहगारों में
शामिल हो रहे सभी यहाँ ।
मुझे तो ये बहुत मीठी लगी ज्योति जी!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत सब छनिकाएं ........... जीवन के आस पास बिखरी हुयी ...........
जवाब देंहटाएंsabhi kshanikaayen sunder,
जवाब देंहटाएंaruna ji,digambar ji,yogesh ji bahut bahut dhanyawaad .
जवाब देंहटाएंज्योति जी,
जवाब देंहटाएंआप इन्हें बेशक क्षणिकायें कहें, हम तो दुनियानामा कहेंगे, जो देखा वह बयाँ किया। बहुत अच्छा लिखा है।
पत्रिका-गुंजन
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