शुक्रवार, 21 अगस्त 2009

ये इश्क नही आसान फिर भी ......

कहते है प्यार ज़िन्दगी देता है ,
इसे तो मैंने बेसहारा करते देखा ,
दर्द में लोगो को डूबोते देखा ,
दर्द से दर्द को लड़ते देखा ।
ज़ख्म को हर पल उभरते देखा ,
आंसुओ में भीगते -भीगोते देखा ।
बन्धनों में नेह टूटते देखा ,
पकड़ने की चाह में छूटते देखा ।
तिनका -तिनका से बना आशियाना ,
इस भरोसे पर टूटते देखा ।
फिर भी इसका दामन सबको ,
हर सदी में थामते देखा ।
इश्क ने हमें कही का छोड़ा नही ,
फिर भी इश्क को हमने छोड़ा नही ।

16 टिप्‍पणियां:

  1. इश्क ने हमें कही का छोड़ा नही ,
    फिर भी इश्क को हमने छोड़ा नही ।
    क्या बात है!!!!बहुत खूब.

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  2. सुंदर रचनाओं से रु -ब -रु करा रहीं हैं आप ..शुक्रगुज़ार हूँ !

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  3. jyoti ji,
    ishq chhodne ki cheej hi nahin hai ji. pakde rakhiye.

    sunder rachna . badhai.

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  4. इश्क ने हमें कही का छोड़ा नही ,
    फिर भी इश्क को हमने छोड़ा नही
    बहुत खूब

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  5. बहुत सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये शानदार रचना बहुत अच्छा लगा ! इश्क एकबार हो जाए तो छोड़ा नहीं जा सकता !

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  6. समय से पूर्व कुछ भी अच्छा नहीं होता, शायद ऐसे ही समय पूर्व के प्रेम के ऐसे रूप प्रायः सामने आते रहते हैं.,

    वैसे भी सच्चा प्रेम त्याग में है, पाने की आस में नहीं,

    आज के प्रेम दुखदाई इसलिए कि सदा पाने की ही आस रहती है...............

    गंभीर बातों को बहुत करीने से शब्द-बद्ध किया है आपने.

    विशेष सन्देश देती इस रचना पर आपको हार्दिक बधाई.

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  7. शुक्रिया इतनी सुन्दर टिपण्णी के लिए .

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  8. ....................एक खामोशी से आप की बात महसूस कर रहा हूँ .............

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  9. aaditya ji main ek mahine se bahar thi aur aaj aai hoon .sabke blog se jaldi hi judungi .aaplogo ka shukriya jo mere baad bhi blog se jude rahe .

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