शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009

उदीप्त

घटता नही क्रम तम का

क्यो होता नही सवेरा ,

निशा सदा तेरा ही आमंत्रण

क्यो स्वीकारे मन मेरा

उर में बंदी बनी रही सब

आशाएं -इच्छाए हमारी

कुसुम की मुस्कुराहट पे क्यो

लगा शूलों का पहरा

मेरी पीड़ा की ज्वालाये

ठुकराती रजनी का आमंत्रण ,

सूरज के संग बांहे थामें

मुक्त हुई अब छोड़ अँधेरा


12 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी पीड़ा की ज्वालाये
    ठुकराती रजनी का आमंत्रण ,
    सूरज के संग बांहे थामें
    मुक्त हुई अब छोड़ अँधेरा
    वाह..अति सुन्दर

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  2. kusum ki muskan.............shool ka pahra.

    wah bahut khoob, khoobsurat abhivyakti jyoti ji, badhai.

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  3. जब अँधेरा घनघोर हो जाता है,तब जाकर सूरज दिखाई देता है......वक़्त आता है....
    सूरज के संग बांहे थामें
    मुक्त हुई अब छोड़ अँधेरा

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  4. आपकी इस कविता में यथास्थिति से मुक्त होने की तड़प के साथ ही मुक्त होने की इच्छा स्पष्ट है।

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  5. मेरी पीड़ा की ज्वालाये
    ठुकराती रजनी का आमंत्रण ,
    सूरज के संग बांहे थामें
    मुक्त हुई अब छोड़ अँधेरा ।
    क्या बात है..जब ज्वालाभूत हो गयी है पीड़ा तो रात के आवरण मे कैसे ढकी रहेगी..सूरज को तो आना ही होगा.
    अच्छी लगी.

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  6. माफी चाहूँगा, आज आपकी रचना पर कोई कमेन्ट नहीं, सिर्फ एक निवेदन करने आया हूँ. आशा है, हालात को समझेंगे. ब्लागिंग को बचाने के लिए कृपया इस मुहिम में सहयोग दें.
    क्या ब्लागिंग को बचाने के लिए कानून का सहारा लेना होगा?

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  7. निशा सदा तेरा ही आमंत्रण
    क्यो स्वीकारे मन मेरा ।
    उर में बंदी बनी रही सब
    आशाएं -इच्छाए हमारी ....

    Sach kaha aaj jaagriti ka samay hai .... koi bhi aamantran jo anukool na ho ... nahi swikaar karna chahiye .. sundar likha hai ...

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  8. ज्योति जी,

    बहुत अच्छी पंक्तियाँ हैं :-

    मेरी पीड़ा की ज्वालाये
    ठुकराती रजनी का आमंत्रण ,
    सूरज के संग बांहे थामें
    मुक्त हुई अब छोड़ अँधेरा ।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  9. मेरी पीड़ा की ज्वालायें
    ठुकराती रजनी का आमंत्रण
    सूरज के संग बाहें थामे
    मुक्त हुई अब छोड़ अँधेरा

    ज्योति जी लय बद्ध उजाले का सूरज थमती बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति है इस रचना में .....बधाई .....!!

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  10. एक सुंदर कविता, सुंदर संदेश :

    पीड़ा में भी अगर अंधेरा न जीत पाए
    तो प्रकाश की किरण प्रवेश कर चुकी
    और
    मुक्त हुई अब छोड़ अँधेरा


    http://gunjanugunj.blogspot.com

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