शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2009

रिश्ते...

रिश्तों को जरूरत बनाओ

रिश्तों की जरूरत बन जाओ


रिश्तों को खूबसूरत बनाओ

रिश्तों को यू ठुकराओ


तभी रिश्तें उम्र दराज हो पायेंगे

विषैले होने से हम बचा पायेंगे


कम जिंदगी भी लम्बी होगी

अफ़सोस की कही जगह होगी

8 टिप्‍पणियां:

  1. बढिया है लेकिन मेरे समझ में कम आयी पहली दो लाइन ।

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  2. रिश्तों को जरूरत न बनाओ
    रिश्तों की जरूरत बन जाओ ।

    रिश्तों को खूबसूरत बनाओ
    रिश्तों को यू न ठुकराओ ।
    बहुत सुंदर कविता....
    लेकिन कभी कभी रिश्ते ही ठुकरा दे तो
    कोई क्या करे... तब तो सच मै विष ही घुल जाता है जिन्दगी मै.
    धन्यवाद

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  3. क्या बात है...रिश्तों की ज़रुरत बन जाओ.

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  4. अफ़सोस की जगह ना होगी.....वाह,सही कहा

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  5. तभी रिश्तें उम्र दराज हो पायेंगे
    विषैले होने से हम बचा पायेंगे ।

    aap behteri likhti hai....

    ..Phir kehta hoon ki aap behteri likhti hain !!

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  6. अरसे बाद आपके ब्लॉग पर आ सका .मन को छू लेने वाली कितनी ही रचनाएँ मिली पढने को .ढेर सारी शुभकामनायें .और ज्योति पर्व की देर से ही सही ,ढेर सी बधयिआन.

    'अप्प दीपो भव '

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