बुधवार, 21 अक्तूबर 2009

दर्द

रास्ते -रास्ते बिखरे दर्द ,क्यो

हमसफ़र बन गया हमारा ,

क्योकर हम खामोश है

कांटो से लिपट कर भी ,

क्या कहे कैसे कहे

ओह एक उफ़ भी नही ,

ये उलझन सुलझे कैसे

जाल बुनता जा रहा रोज ही ,

गहरी टीस उठती है मन में

मगर लिपटाये रह गई चुप्पी ,

गिला कोई शिकवा

अफ़सोस में रह गए सभी

बदल गये कितनी करवटे

उठ गयी कितनी सिलवटे ,

जाने क्या मजबूरी रही

इस धुंध से निकले नही ,

उम्र भर एक आस पर

कांटो से समझौता रहा ,

दामन सारे छिल गये

पाँव में छाले पड़ गये ,

तहजीब को हम साथ लिए

उम्र अपनी पार कर गये ,

दर्द के हमसफ़र बनकर

वफ़ा के अंदाज में जिए ,

ज़िन्दगी तेरे साथ चलने के

हुए अंदाज़ कुछ निराले ही ,

टूटते तो रहे निरंतर ही

मगर बिखरे आज तक नही

12 टिप्‍पणियां:

  1. ज़िन्दगी तेरे साथ चलने के
    हुए अंदाज़ कुछ निराले ही ,
    टूटते तो रहे निरंतर ही
    मगर बिखरे आज तक नही ।
    बहुत सुंदर रचना, आप की रचन पढ कर बहुत कुछ याद आ गया.
    धन्यवाद

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  2. bahut khoob... sabaki kahani aapaki zubani...

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  3. तहजीब को हम साथ लिए
    उम्र अपनी पार कर गये ,
    दर्द के हमसफ़र बनकर
    वफ़ा के अंदाज में जिए ,

    दर्द और जिंदगी का चौली - दामन का साथ है पुराना
    जिंदगी इम्तिहान लेती है,वफा को दर्द देता है जमाना

    सुंदर अभिव्यक्ति

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  4. बहुत सुन्दर !! टूटते तो रहे निरंतर पर बिखरे आज तक नहीं !!!

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  5. बदल गये कितनी करवटे
    उठ गयी कितनी सिलवटे ,
    जाने क्या मजबूरी रही
    इस धुंध से निकले नही .....

    कभी कभी दर्द में डूब कर इंसान सब कुछ सहता रहता है ............ दर्द भरी रचना ............

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  6. आप सभी को तहे दिल से शुक्रिया करती हूँ , साथ ही दिल से आभारी हूँ .

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  7. टूटते रहे लेकिन बिखरे नहीं ...

    क्या बात है !

    पूरी कविता से दर्द रिस रहा है !

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  8. टूटते रहे लेकिन बिखरे नहीं ...

    क्या बात है !

    पूरी कविता से दर्द रिस रहा है !

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  9. बहुत सुन्दर !! टूटते तो रहे निरंतर पर बिखरे आज तक नहीं !!!
    बहुत सुन्दर रचना । आभार

    ढेर सारी शुभकामनायें.

    SANJAY KUMAR
    HARYANA
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  10. ज़िन्दगी तेरे साथ चलने के
    हुए अंदाज़ कुछ निराले ही ,
    टूटते तो रहे निरंतर ही
    मगर बिखरे आज तक नही ।

    vah jyotiji
    bahut sundar bhavna
    कांटो से समझौता रहा ,
    दामन सारे छिल गये
    kitu ab jmana badl rha hai kanto se smjhota karna theek nahi |
    achhi imandar rachna

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  11. ज़िन्दगी तेरे साथ चलने के
    हुए अंदाज़ कुछ निराले ही ,
    टूटते तो रहे निरंतर ही
    मगर बिखरे आज तक नही ।

    इस रचना को पढ़ने के बाद लगा कि "हौसले" किस चिडिया का नाम है
    जबरदस्त पंक्तियाँ..................
    .
    अति सुन्दर प्रस्तुति, गहरे सार्थक मनोभावों का वर्णन हमेशा की तरह एक नए अंदाज़ में

    बधाई.

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

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