बुधवार, 28 अक्तूबर 2009

बावरी हवा

हवा हुई बावरी

दिशा बदल रही है ,

उड़ा के धूल आँखों में

ले किधर जा रही है ,

ये दीवानी नही कुछ

समझ पा रही ,

रुख बदल कर

है हमें भटका रही

आज ये अपने

आप में नही ,

आंधियो के वेश में

मिलने आई कही ,

बचा ले आज

उड़ने से कही ,

वर्ना वजूद अपने

खो दे हम कही

18 टिप्‍पणियां:

  1. ये दीवानी नही कुछ
    समझ पा रही ,
    रुख बदल कर
    है हमें भटका रही ।

    हां ज्योति जी हवा तो वैसे भी दीवानी ही होती है. उसके साथ बहेंगी तो पता नहीं क्या हो..

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  2. हवा हुई बावरी
    दिशा बदल रही है ,
    उड़ा के धूल आँखों में
    ले किधर जा रही है ,
    ये दीवानी नही कुछ
    समझ पा रही ,
    अरे ज्योति जी बचना चाहिये ऎसी बावरी हवा से..
    बहुत सुंदर कविता.
    धन्यवाद

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  3. अरे वाह ये तो अद्भुत हो गया रचना टिपण्णी के संग पोस्ट हुई ,ऐसा पहली बार हुआ है ,शुक्रिया वंदना जी दिल से इस धमाके के लिए .kal ki diwali ka ye namoona laazwab raha .happy diwali .raj ji aapko bhi shukriya with happy diwali .

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  4. ज्योति जी सच कहा हवा तो होती ही है बावरी पर अब प्रदूषित भी है सो थोडी ज्यादा सतर्कता बरतनी होगी हम सबको अपना वजूद बनाये रखने को

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  5. ये दीवानी नही कुछ
    समझ पा रही ,
    रुख बदल कर
    है हमें भटका रही ।
    कई तरह की हवा होती है ..........आज यह हवा कुछ दिवानी सी लग रही है ......जो थोडी बावरी सी है ........बहुत ही सुन्दर!

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  6. ज्योति जी,

    आज ये अपने
    आप में नही

    इन पंक्तियों में आपने सब कह दिया व्यक्त अव्यक्त सच।

    सादर,


    मुकेश कुमार तिवारी

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  7. वाह कविता के आरम्भ की चार पंक्तियाँ बहुत सुंदर है. लिखती रहिये एक दिन हवा भी आपके इशारे पर मुड़ जायेगी.

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  8. ये दीवानी नही कुछ
    समझ पा रही ,
    रुख बदल कर
    है हमें भटका रही । jyotiji bah jayegi hawa ke saath, lahron ke saath , apna hi anand hai.

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  9. yu aayi aandhiya..
    hmko naa diga paayengi..
    kar le chahe kitni hi koshish
    hamara rukh naa mod paayengi..
    :)

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  10. बावरी हवा......किसी अल्हड नायिका की तरह

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  11. वाह ज्योति जी बहुत खूब.....बधाई !!!!!!!!

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  12. जब एक-एक फूल उड़ा ले गई हवा
    उस दिन बहार को मिरे घर का पता चला

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  13. ये hava भी तो किसी मस्त belagaam प्रेमी हो gyee है और udaa ले जा रही है सब कुछ .......... achhe ehsaas हैं .........

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  14. तुम्हारे गीत हवाओं के नाम
    वक़्त के दामन पर
    छोटा सा पैगाम .
    तुम्हारे गीत हवाओं के नाम.............

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  15. raj ji shukriyaan laazwab tippni ke liye, hausla badh gaya padhkar ,tahe dil se aabhari hoon .

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  16. बहुत अच्छी रचना ज्योति जी...वाह...बधाई...
    नीरज

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