कुछ बातें सवाल लिए
औपचारिकता के चक्रव्यूह में
अगर हर रिश्तें निभाएंगे ।
अभिमन्यु की तरह हम भी
उलझ कर फिर रह जायेंगे ।
---------------------------------
दूर तक सागर सा फैलाव लिए
क्या कोई मुस्कान बिखरी होगी ?
जिंदगी तेरे युग की व्यस्तता में
इस विस्तार की कमी तो न होगी ?
-----------------------------------------------
उपदेश ऊँचे -ऊँचे
बातें बड़ी -बड़ी
न्याय एवं परोपकार के
नाम पर , कुछ नही ,
विरोधाभास का उदाहरण
बेहतर इससे नही कही ।
टिप्पणियाँ
अगर हर रिश्तें निभाएंगे ।
अभिमन्यु की तरह हम भी
उलझ कर फिर रह जायेंगे ।
बिलकुल सही लिखा आपने |
अगर हर रिश्तें निभाएंगे ।
अभिमन्यु की तरह हम भी
उलझ कर फिर रह जायेंगे ।
bahut sahi, sunder abhivyakti.
क्या कोई मुस्कान बिखरी होगी ?
लाजवाब पंक्तियाँ
सुंदर रचना....
SANJAY KUMAR
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
अगर हर रिश्तें निभाएंगे ।
अभिमन्यु की तरह हम भी
उलझ कर फिर रह जायेंगे ।
bilkul sahi kaha aapne.....
bahut achchi lagin yeh triveni....
आपकी पीड़ा वाजिब है मगर आज रिश्तों में औपचारिकता बढ़ती जा रही है .आप राजस्थान से जुड़ी यादों को शेयर कर सकती हैं .
अगर हर रिश्तें निभाएंगे ।
अभिमन्यु की तरह हम भी
उलझ कर फिर रह जायेंगे । ...
KAMAAL KI BAAT KAH DI AAPNE ... JEEVAN KI SACCHHAAI .... LAJAWAAB ..
mehsoos karvaati huee
saarthak kshanikaaeiN .