सोमवार, 4 जनवरी 2010

एक सा


कल जिस तरह आरम्भ हुई थी ,


आज तक वैसी ही बनी रही ।


प्रसून वेदना मानस पटल पर


यू अटल छवि सी अंकित रही ।


वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत का


आरम्भ भी वही और अंत भी वही ।

19 टिप्‍पणियां:

  1. वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत का

    आरम्भ भी वही और अंत भी वही ।
    बहुत ही सुंदर भाव लिये.
    धन्यवाद

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  3. intzar us din ka jis din aapakee rachana vedana ke bhav se hee pare ho .
    nav varsh aapake vartmaan ko khushiyon se bhar de isee aasheesh ke sath

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  4. वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत का

    आरम्भ भी वही और अंत भी वही ।nice

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  5. ye purani rachna hai ,jo dalni thi uski taiyaari nahi rahi ,is karan ise dala ,magar aap sabhi ki tippani ne hausala badha diya ise pasand karke ,shukriyaan

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  6. कल जिस तरह आरम्भ हुई थी ,
    आज तक वैसी ही बनी रही

    लाजवाब पंक्तियाँ

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  7. वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत का
    आरम्भ भी वही और अंत भी वही ...

    शून्य से निकल कर शून्य में ले जाती हुई शशक्त रचना .........

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  8. वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत का
    आरम्भ भी वही और अंत भी वही ...

    आपका वर्तमान भविष्य और अतीत. मेरी भी एक वर्तमान भविष्य और अतीत पर कविता तैयार है .कब पोस्ट कर पाती हूँ पता नहीं

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  9. कल जैसा था भले ही आज वैसा हो पर भविष्य वैसा नहीं होगा उम्मीद है ......!!

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  10. वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत का

    आरम्भ भी वही और अंत भी वही ।
    बहुत ही सुंदर बात कह दी आप ने...
    पुरानी कविता में भी लेखन कहीं कच्चा नहीं दिखता.
    बहुत गहन भाव इन पंक्तियों में.
    आभार.

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