सही रंग ......



कैनवास के कुछ पन्नो पर


जब कभी -कभी हम


ब्रश चलाते है , तो


हाथ थम से जाते है ,


वो रंग नही उभरते


जो हमारे अहसास में ,


ख्याल में घुले होते है ,


और बार - बार


शायद यू कहे


लगातार


हमें पन्ने पलटने पड़ते है ,


फाड़कर रद्दी की टोकरी में


फेंकने पड़ते है ,


सही रंग की तलाश में


टिप्पणियाँ

राज भाटिय़ा ने कहा…
बहुत सुंदर कविता भाव पुर्ण
धन्यवाद
Dev ने कहा…
acchi rachna hai
Udan Tashtari ने कहा…
भावपूर्ण रचना!

बधाई.

--

हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!

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अनेक शुभकामनाएँ.
मनोज कुमार ने कहा…
बेहतरीन। लाजवाब।
Apanatva ने कहा…
bahut sunder lagata hai meree aap beetee likh dee..
aabhar
अंतिम पंक्तियाँ दिल को छू गयीं.... बहुत सुंदर कविता....
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है .
होता है कई बार ऐसा भी मन में मंथन की हम चाह कर सही शब्दों को ढूंढ नहीं पाते...और यु ही केनवास पर अपने मनचाहे रंगों को नहीं ला पाते...ये स्थिति दर्शाती है हमारे मन में चलती कशमोकश को..

अच्छी रचना.
kshama ने कहा…
Sach hai..sahi rang ki talashme hame panne fadkar fenkne padte hain!Bahut sundar!
Ramnavmiki anek shubhkamnayen!
सचमुच लाजवाव.
बेहतरीन अभिव्यक्ति बहुत गहरी बातें
हमें पन्ने पलटने पड़ते है ,

फाड़कर रद्दी की टोकरी में

फेंकने पड़ते है ,

सही रंग की तलाश में ।
सुन्दर कविता. बधाई.
Alpana Verma ने कहा…
waah! bahut achchha likha hai...

jaane kitni baar aisa hota hai sahi rang ki talaash mein..
ज्योति सिंह ने कहा…
aap sabhi ka tahe dil se shukriyaan .aabhaari hoon .
yahi kram hai jeevan ka ....satat, anwarat
manu ने कहा…
एकदम सही कहा आपने...
अक्सर ऐसा ही होता है....

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