सोमवार, 29 मार्च 2010

रकीबो से उल्फत..........

रकीबो से रस्मे उल्फत निभाता कहाँ कोई है

यहाँ शौक ऐसे दिल से फरमाता कहाँ कोई है ।



है , ये वो शै बाजारों में भीड़ है जिसकी

मुफ्त में मिलने से भी अपनाता कहाँ कोई है ।



मगर सबसे ज्यादा यही रस्मे उल्फत निभाती है

मोहब्बत से भी आगे बाजी दुश्मनी मार जाती है ।



दुश्मनों की हयात में चाहत नही होती कभी

है इसमें वो अदा जो ठिकाना आप जमा लेती है ।



चाहे जितनी भी कर ले हिफाजत हम अपनी

हर पहरे तोड़कर दास्तां अपनी गढ़ जाती है ।

14 टिप्‍पणियां:

  1. चाहे जितनी भी कर ले हिफाजत हम अपनी

    हर पहरे तोड़कर दास्तां अपनी गढ़ जाती है ।
    बहुत सुंदर जी.
    धन्यवाद

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  2. are wah aapkee urdoo bhee bemisal hai...............
    sunder rachana........

    चाहे जितनी भी कर ले हिफाजत हम अपनी

    हर पहरे तोड़कर दास्तां अपनी गढ़ जाती है ।

    bahut khoob

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  3. मगर सबसे ज्यादा यही रस्मे उल्फत निभाती है
    मोहब्बत से भी आगे बाजी दुश्मनी मार जाती है ।

    क्या बात है ज्योति जी आज कुछ अलग सी बात
    बेमिसाल, हर शेर काबिले तारीफ़ और वज़नदार. दाद कुबूल करें

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  4. दुश्मनों से कोइ रस्म निवाह भी कैसे सकता है |नितांत सत्य है मोहब्बत जरासी बात पर ख़त्म होकर दुश्मनी में तब्दील हो जाती है |मेंहदी हसन सा'ब ने जो ग़ज़ल गाई है उसका एक शेर याद आरहा है "" लो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गए /लेकिन इतना तो हुआ कुछ लोग पहिचाने गए | आपकी ग़ज़ल के भाव अच्छे हैं

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  5. रकीबो से रस्मे उल्फत निभाता कहाँ कोई है
    यहाँ शौक ऐसे दिल से फरमाता कहाँ कोई है

    सच कहा है ... दुश्मनों से दोस्ती कोई नहीं करता ... अछे शेर कहे है ...

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  6. दुश्मनों से कोइ रस्म निवाह भी कैसे सकता है

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  7. चाहे जितनी भी कर ले हिफाजत हम अपनी

    हर पहरे तोड़कर दास्तां अपनी गढ़ जाती है ।

    बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......

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  8. Har pahra tod ek daastaan banhi jati hai...!Aap din b din aur adhik sundar likhe ja raheen hain...ekse badhke ek!

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  9. bahut gahree bate saralta se likh jana koi aap se seekhe...........
    hindi ke sath urdu me bhee mahirath hasil hai.........

    sunder rachana......
    aabhar

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  10. मगर सबसे ज्यादा यही रस्मे उल्फत निभाती है

    मोहब्बत से भी आगे बाजी दुश्मनी मार जाती है ।

    बहुत खूब ...जिन्दगी के अनुभव से निकली पंक्तियाँ

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  11. वाह ज्योति जी क्या khoob sher kahe hai
    मगर सबसे ज्यादा यही रस्मे उल्फत निभाती है

    मोहब्बत से भी आगे बाजी दुश्मनी मार जाती है ।

    lajvab

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