शनिवार, 14 अगस्त 2010

रंगीला हिन्दुस्तान


जब कभी समाचार देखती हूं,
या खाली बैठती हूं,
देश की स्थिति का
मुआयना करने लगती हूं,
और सोचती हूं,
कुछ लिखूं।
अपने रंगीले हिन्दुस्तान पर
पर जब लिखने बैठती हूं
शब्द तब मौन हो जाते हैं, सारे
और तस्वीर सभी एक एक कर
सामने आकर बोलने लगतीं है
अपनी हालत दर्शाने लगती हैं-
और कहती है-
क्या लिखोगे?
इतनी शब्द और शक्ति है, तुम्हारी इस कलम के पास?
जो कैद कर दे सब,
तुम्हारे कुछ पलों में।
नही कर पाओगे
अगर आवाज़ उठाओगे तो
हार जाओगे या बिक जाओगे।
ये कलम आध में ही
दम तोड़ देगी,
मंजिल तक ले जाना
मुमकिन नहीं।
इसलिये खयाल छोड़ो
क्रांतिकारी विचार तोड़ो
बड़ी खुशी से
पन्द्रह अगस्त पर
झंडे को सलाम ठोंको
सच्चे और देश प्रेमी होने का
फ़र्ज़ अदा करो।
जय हिन्द.

20 टिप्‍पणियां:

  1. अपने रंगीले हिन्दुस्तान पर
    पर जब लिखने बैठती हूं
    शब्द तब मौन हो जाते हैं, सारे
    और तस्वीर सभी एक एक कर
    सामने आकर बोलने लगतीं है
    अपनी हालत दर्शाने लगती हैं-

    ज्योति जी,
    आपने बहुत सटीक सवाल उठाएं हैं....
    वो कहते हैं न....
    ’फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी’
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

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  2. स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई
    अच्छी कविता

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  3. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

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  4. सुन्दर अभिव्यक्ति

    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं

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  5. अगर आवाज़ उठाओगे तो
    हार जाओगे या बिक जाओगे

    अंजाम से डरना कैसा बहुत ही सुंदर रचना बधाई
    काफी समय बाद पोस्ट डाली आपने. आपको स्वतंत्रता दिवस पर ढेरों शुभकामनाएं.

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  6. स्वाधीनता दिवस की अनन्त शुभकामनाएं.

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  7. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ...

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  8. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं .

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  9. कविता मे देशभक्ति की उदात्त भावनाएँ प्रेरक व प्रशंसनीय हैं ।

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  10. ज्योति जी
    बहुत दिनों बाद ?और इंदौर भोपाल से आने के बाद आप तो खबर कर रही है ?
    वैसे मै अभी १५ दिन से बेंगलोर में हूँ |
    बहुत अच्छी रचना |क्या करे ?हाथ से सब कुछ फिसलता जा रहा है मुठी की रेत की तरह कुछ ऐसे ही भाव लगे मुझे आपकी कविता के और इसी में हमको सब कुछ बचाए रखना है |

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  11. 'अगर आवाज़ उठाओगे तो'हार जाओगे या बिक जाओगे।'
    ये कलम आध में हीदम तोड़ देगी,मंजिल तक ले जाना मुमकिन नहीं'

    कितना कुछ कह दिया इन पंक्तियों में आप ने..
    सच, रस्म अदायगी मात्र से लगते हैं अब ये दिवस भी.
    अच्छी और सामायिक रचना.

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  12. सुन्दर अभिव्यक्ति,
    आभार...

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  13. सुंदर रचना बधाई,स्‍वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

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  14. अपने रंगीले हिन्दुस्तान पर
    पर जब लिखने बैठती हूं
    शब्द तब मौन हो जाते हैं, सारे
    और तस्वीर सभी एक एक कर
    सामने आकर बोलने लगतीं है
    अपनी हालत दर्शाने लगती हैं-

    कैसी होती है ये आज़ादी ......?

    यहाँ तो सांस भी घुटती है .....!!

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  15. आज़ाद भारत में दम तोड़ती कलम और भावनाओं का सुंदर प्रस्तुतीकरण हुआ है, आपकी इस रचना में । आभार !!!

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