शनिवार, 14 मई 2011

उम्मीद



आइने में सभी सूरते

एक सी नज़र आती है

किसे कहे यहाँ अपना

यही ख्याल लिए रह जाती है ,

तभी वो चेहरा दिखता है

जिसका कोई अक्स भी नही ,

है वो निराकार ,

लेकिन मेरी कल्पनाओ को

करता है वही साकार .

28 टिप्‍पणियां:

  1. है वो निराकार ,
    लेकिन मेरी कल्पनाओ को
    करता है वही साकार .

    क्या बात है ,,,वाह !!!!

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  2. जिसका कोई अक्स नहीं वही करता है सपना साकार ... बहुत बढ़िया

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  3. जिसका कोई अक्स नहीं वही करता है सपना साकार ... बहुत बढ़िया

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  4. है वो निराकार ,
    लेकिन मेरी कल्पनाओ को
    करता है वही साकार .
    बहुत खूब.

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  5. निराकार ही सब साकार कर रहा है तब तो वह महाकार हुआ।

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  6. बहुत सुंदर काव्य रचना ..... बेहतरीन भावाभिव्यक्ति

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  7. निराकार का आपने चेहरा देख लिया,यह तो कमाल किया आपने.
    फिर क्यूँ न निराकार भी आपकी कल्पनाओं को साकार करे.

    आपकी 'उम्मीद' अदभुत है,अति सुन्दर है.

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  8. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (16-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  9. बहुत सुंदर काव्य रचना ..... बेहतरीन भावाभिव्यक्ति

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  10. निराकार से साकार तक पहुचना. सुंदर विचार, सच ही है सारे संसार की डोर तो निराकार हांथों में ही है.

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  11. काश ये सन्देश हम आत्मसात कर पाते की निराकार को भी देखा जा सकता है केवल सच्चा मन होना चहिये . आभार इस कविता के लिए .

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  12. वाह जी क्या सुंदर ओर गहरी बात कही आप ने, बहुत सुंदर लगी आप की यह रचना, धन्य्वाद

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  13. निराकार ही साकार है
    इसमें कोई संदेह नहीं ...
    अच्छी कविता है !!

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  14. जिसका कोई अक्स नहीं वही करता है सपना साकार............. जी ,इसीलिए तो कहते हैं-सब का मालिक एक है.

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  15. है वो निराकार ,
    लेकिन मेरी कल्पनाओ को
    करता है वही साकार .

    वही भीतर होता है । बहुत अच्छी रचना ।

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  16. खुद इंसान अपने अंदर के निर्विकार इंसान का ही साथी होता है ... सुंदर रचना ..

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  17. बहुत सुन्दर, भावपूर्ण और शानदार रचना लिखा है आपने ! बधाई!

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  18. बिनु पग चलइ सुनहि बिनु काना
    कर बिनु करम करइ विधि नाना
    आनन रहित सकल रस भोगी
    बिनु वानी वक्ता बड जोगी

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  19. बहुत सुन्दर ! शुभकामनायें आपको !

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  20. निराकार का आईना मेरा मन. धन्‍यवाद.

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  21. नन्ही सी कविता में छायावाद का दर्शन करा दिया आपने.बधाई.ब्लॉग गुरतुर गोठ में पधार कर आपने मेरी रचना पढ़ी,सराहा,इस हेतु धन्यवाद.कभी हमारे पारिवारिक ब्लोग्स में जरूर आईयेगा.

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  22. किसे कहें यहाँ अपना ? ये प्रश्न बेहद अहम है.
    काश. प्रेम भाईचारे को लोग अपनाते.
    - विजय

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  23. सुंदर काव्य रचना ..... बेहतरीन भावाभिव्यक्ति

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  24. bahut sunder
    जिसका कोई अक्स नहीं वही करता है सपना साकार

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