इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट
अहसास.......
धीरे - धीरे यह अहसास हो रहा है ,
वो मुझसे अब कहीं दूर हो रहा है।
कल तक था जो मुझे सबसे अज़ीज़ ,
आज क्यों मेरा रकीब हो रहा है।
*************************
इन्तहां हो रही है खामोशी की ,
वफाओं पे शक होने लगा अब कहीं।
****************************
जिंदगी है दोस्त हमारी ,
कभी इससे दुश्मनी ,
कभी है इससे यारी।
रूठने - मनाने के सिलसिले में ,
हो गई कहीं और प्यारी ।
****************************
इस इज़हार में इकरार
नज़रंदाज़ सा है कहीं ,
थामते रह गए ज़रूरत को ,
चाहत का नामोनिशान नहीं।
...................................................
ये बहुत पुरानी रचना है किसी के कहने पर फिर से पोस्ट कर रही हूँ ।
कुछ दिल ने कहा
अच्छे को अच्छे बोल देने मे क्या बुराई है अच्छाई से आखिर हमारी क्या लड़ाई है ये तो हर दिल को अजीज होती हैं इसमें ये क्या देखना अपनी है या पराई है । 🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳 जिस बात के लिए बहुत सोचना पड़ता है उस बात को फिर पीछे छोड़ना पड़ता है । 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴 दिमाग वालों से यहाँ कौन भिड़ता है वेबकूफ़ों से ही तो हर कोई लड़ता है। 🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿 सच ही कभी कभी हमें स्वीकार नहीं होता आँखों देखे पर भी हमें विश्वास नहीं होता। 🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀 हर कोई बैठा है इसी इंतजार में कब सब अच्छा होगा इस संसार में । 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 वक़्त की मांगे करवटें लेती रहती हैं उम्मीदें बहुत कुछ बदल देती हैं आगाज से बहुत अलग अंजाम होता है अंत में सब लकीरों के नाम होता है ।
टिप्पणियाँ
RECENT POST : बिखरे स्वर.
जीवन की कशमकश को अच्छी अभिव्यक्ति दी है ज्योति अपनी कविता में .
-- ज़िन्दगी यूँ ही कतरा कतरा गुजारी जाती है.
ओर जीवन बीत जाता है ऐसे ही ...