क्या .......?







क्या  कहा  जाये 
क्या  सुना  जाये 
इस  क्या  से  आगे  
यहाँ  कैसे  बढ़ा  जाये
समझ  आता  नहीं  ,
क्योंकि  ये  दुनिया  अब  
पहले  जैसे  सीधी  रही  नहीं  ,
तभी  आसान  बात  भी 
मुश्किल  नज़र  आती  है  ,
किसी  से  कहे  कुछ 
उसे  समझ  कुछ 
और  आती  है  । 
शायद  इसलिए  ज़िन्दगी  अब ,
लम्हों  में  बिखर  जाती  है  । 

टिप्पणियाँ

kshama ने कहा…
Duniya kabhee seedhee nahee thee...bahut achhe rachana...
सुंदर सृजन ! बेहतरीन रचना !!

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Alpana Verma ने कहा…

जीवन की कशमकश को अच्छी अभिव्यक्ति दी है ज्योति अपनी कविता में .
-- ज़िन्दगी यूँ ही कतरा कतरा गुजारी जाती है.
बहुत ही अलग और सशक्त रचना.
जीवन तो कभी भी आसान नहीं रहा .. द्वंद को बयाँ करती सुन्दर रचना ...
ये दस्तूत है दुनिया का ... पहले सा कुछ भी नहीं रहता सिवाए मन के ... कुछ यादों के ...
ओर जीवन बीत जाता है ऐसे ही ...

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