रविवार, 24 अगस्त 2014

दुआ......?

उम्मीद छोड़ रहे है

विश्वास तोड़ रहे है

जीने की हर राह से

मुंह अपने मोड़ रहे है ,

सपनो को मिटाकर

इच्छाओ को दफनाकर

फिर जिन्दगी के वास्ते

दुआ मांगने के लिए

क्यो हाथ जोड़ रहे है  ?

6 टिप्‍पणियां:

  1. सही कहा ज्योति जी । आशा ,विश्वास ,आकांक्षाओं और सपनों के बिना जीवन जीवन नही होता । ऐसे जीवन की दुआ बस साँसों का बचाए रखने की इच्छा मात्र है ।

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  2. आपकी संवेदनशील रचना मन के भावों को दोलायमान कर गई। मेरे नए पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है। शुभ रात्रि।

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  3. जीवन की रीत है ये ...आशा और उमीद जरूरी है ...

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  4. सच कहा है ... बस चाहते हैं सब कुछ आसानी से मिल जाए ...

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  5. भावमय करते शब्‍दों के साथ्‍ा बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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