काव्यांजलि
गुरुवार, 16 अक्तूबर 2014
सिर्फ एक बार .....
सिर्फ एक बार
सिर्फ एक बार
सिर्फ एक बार
उम्मीद की दहलीज पर
खड़े रहकर
यह एक बार
क्या रहता है
सिर्फ एक बार ?
हर बात का अंत
इतनी आसानी से
नही होता ,
अगर होता तो
असर फिर उसका रहता
सिर्फ एक बार .
3 टिप्पणियां:
संजय भास्कर
16 अक्तूबर 2014 को 10:37 pm बजे
बहुत ही भावपूर्ण. एक एक शब्द रग में समाता हुआ.
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दिगम्बर नासवा
21 अक्तूबर 2014 को 4:32 am बजे
कई बार वो एक बार आ ही नहीं पाती ....
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Rakesh Kumar
29 अक्तूबर 2014 को 12:30 am बजे
गहन और भावपूर्ण
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बहुत ही भावपूर्ण. एक एक शब्द रग में समाता हुआ.
जवाब देंहटाएंकई बार वो एक बार आ ही नहीं पाती ....
जवाब देंहटाएंगहन और भावपूर्ण
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