बचपन की तस्वीरे
काव्यांजलि
बीते दिनो की हर बात निराली लगती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है .
पहली बारिश की बूंदो मे
मिलकर खूब नहाते थे ,
ढेरो ओले के टुकड़ों को
बीन बीन कर लाते थे .
इन बातो मे शैतानी जरूर झलकती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती हैै .
सावन के आते ही पेड़ो पर
झूले पड़ जाते थे ,
बारिश के पानी मे बच्चे
कागज की नाव बहाते थे ,
बिना सवारी की वो नाव भी अच्छी लगती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।
पल में रूठना पल में मान जाना
बात बात में मुँह का फूल जाना ,
जिद्द में अपनी बात मनवाना
हक से सारा सामान जुटाना ,
खट्टी मीठी बातों की हर याद प्यारी लगती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।
कच्ची मिट्टी की काया थी
मन मे लोभ न माया थी ,
स्नेह की बहती धारा थी
सर पर आशीषों की छाया थी ,
चिंता रहित बहुत ही मासूम सी जिंदगी लगती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है।
टिप्पणियाँ
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
अप्रतिम सुंदर ।
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 08/03/2019 की बुलेटिन, " आरम्भ मुझसे,समापन मुझमें “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !