मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

छोटी सी दो रचनाये

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महंगाई से अधिक

भारी पड़ी हमको

हमारी ईमानदारी ,

महंगाई को तो

संभाल लिया हमने

इच्छाओ से समझौता कर ,

मगर ईमानदारी को

संभाल नही पाये

किसी समझौते पर

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मेरी हर हार

जीत साबित हुई ,

बीते समय की

सीख साबित हुई l

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