मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

अपनी राह .....


ये रास्ते है अदब के

कश्ती मोड़ लो ,

माझी किसी और

साहिल पे चलो ।

हम है नही खुदा

न है खास ही ,

राहे - तलब अपनी

कुछ है और ही ।

नाराजगी का यहाँ

सामान नही बनना ,

वेवजह खुद को

रुसवा नही करना ।

बे अदब से गर्मी

माहौल में बढ़ जायेगी ,

कारण तकलीफ की

हमसे जुड़ जायेगी ।

हमें हजम नही होती

इतनी अदब अदायगी ,

चलते है साथ लिए

सदा सच्चाई -सादगी ।

फितरत हमें खुदा ने

बख्शी है फकीर की ,

ले चलो मोड़ कर

मुझे अपनी राह ही ।

11 टिप्‍पणियां:

  1. नाराजगी का यहाँ
    सामान नही बनना,
    वेवजह खुद को
    रुसवा नही करना ।
    दिल को छू गई ये पंक्तियाँ , आपका तहेदिल से आभार आपकी प्रतिक्रिया पा कर मैं हर्ष से अभिभूत हूँ।

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  2. आपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 06 अप्रैल 2019 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. वाह क्या बात है बहुत सुंदर रचना. पढ़ कर एक नई उर्जा सी आ गई मन में !

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  6. आप सभी की आभारी हूँ ,धन्यवाद आप सभी का तहे दिल से

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  7. वाहह्हह.. क्या बात है..बहुत खूब👍👌👌

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  8. बहुत खूब ... राह वही अच्छी जो खुद की हो ...
    जहाँ जाने पहचाने रास्ते हों, न छल कपट हो ... अच्छी रचना है ...

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