होकर भी साथ नहीं

ख्वाब  वही  

ख्वाहिश  वही 

अल्फाज  वही  

ज़ुबां  वही  ,

फिर  रास्ते  कैसे  

जुदा  है  सफ़र  के  ,



कदम  साथ  अपने 

दे  रहे  क्यों  नहीं  ।

कही  तो  कुछ  

खलिश  है  मन में 

जो दिल चाहकर  भी 

मिल  रहा  नहीं  । 

टिप्पणियाँ

yashoda Agrawal ने कहा…
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 30 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (31-08-2019) को " लिख दो ! कुछ शब्द " (चर्चा अंक- 3444) पर भी होगी।

---
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
मन की वीणा ने कहा…
जी बहुत सही।
खलिश ही होती मन में जो दिल चाहकर भी नहीं मिलता। एहसास समेटे सुंदर रचना।
Enoxo ने कहा…
" विडीओ ब्लॉग पंच में आपके एक ब्लॉगपोस्ट की शानदार चर्चा विडीओ ब्लॉग पंच 5 के एपिसोड में की गई है । "

" जिसमे हमने 5 ब्लॉग लिंक पर चर्चा की है और उसमें से बेस्ट ब्लॉग चुना जाएगा , याद रहे पाठको के द्वारा वहाँ पर की गई कमेंट के आधार पर ही बेस्ट ब्लॉग पंच चुना जाएगा । "

" आपको बताना हमारा फर्ज है की चर्चा की गई 5 लिंक में से एक ब्लॉग आपका भी है । तो कीजिये अपनो के साथ इस वीडियो ब्लॉग की लिंक शेयर और जीतिए बेस्ट ब्लॉगर का ब्लॉग पंच "

" ब्लॉग पंच का उद्देश्य मात्र यही है कि आपके ब्लॉग पर अधिक पाठक आये और अच्छे पाठको को अच्छी पोस्ट पढ़ने मीले । "

विडीओ ब्लॉग पंच 4 के एपिसोड में आपने देखा
विडीओ ब्लॉग पंच 4

विडीओ ब्लॉग पंच 5 की चर्चा हमने हमारे ब्लॉग पर भी की है शून्य में शून्य और विडीओ ब्लॉग पंच 5

एक बार पधारकर आपकी अमूल्य कमेंट जरूर दे

आपका अपना
Enoxo multimedia

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