बुधवार, 11 सितंबर 2019

धीरे --धीरे ...

टूट रहे सारे  रिश्ते

कल के धीरे- धीरे

जुड़ रहे सारे रिश्ते

आज के धीरे - धीरे ,

समय बदल गया

सोच बदल गई

मंजिल की सब

दिशा बदल गई ,

हम ढल रहा है अब

मै  में धीरे  -धीरे

साथ रहने वाले  अब

कट रहे  धीरे  -धीरे ,

सबका अपना आसमान है

सबकी अपनी जमीन हो  गईं ,

एक छत  के नीचे  रहने

वालों की  अब कमी हो गई ,

रीत बदल रही

धीरे - धीरे

प्रीत बदल रही 

धीरे - धीरे ।

5 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद यशोदा जी ,अवश्य आऊँगी नमस्कार

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  2. धीरे धीरे बहुत कुछ बदल रहा है ... रिश्ते बदल रहे हैं ... और हम भी तो बदल रहे हैं ...
    अच्छी रचना है ...

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  3. धीरे धीरे
    बीज वृक्ष बनेगा ।
    पर जो बोयेंगे
    वही उगेगा ।

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  4. बहुत सुंदर ,तहे दिल से शुक्रिया दोस्तों

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