शाख के पत्ते ...
हम ऐसे शाख के पत्ते है
जो देकर छाया औरो को
ख़ुद ही तपते रहते है ,
दूर दराज़ तक छाया का
कोई अंश नही ,
फिर भी ख्वाबो को बुनते है
उम्मीदों की इमारत बनाते है ,
और ज्यो ही ख्यालो से निकल कर
हकीकत से टकराते है
ख्वाबो की वह बुलंद इमारत
बेदर्दी से ढह जाती है ,
तब हम अपनी तकदीर को
वही खड़े हो ......
कोसते रह जाते है ।
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