सोमवार, 27 अप्रैल 2020

मन के मोती

आदमी, आदमी से आदमी का

पता पूछता है

खुदा का बंदा खुदा को

हर बन्दे में ढूँढता है ।

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शैतानों के बीच रहकर

इंसानो का गुजारा नामुमकिन

दोनों में से किसी एक का

बदलना है मुमकिन ।
......................
सिलसिला बरकरार रहा

हर दौर का, हर दौर में

शामिल रहा कुछ न कुछ

हर दौर का, हर दौर में ।
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जोश में होश

गवा बैठते है

बात तभी हम

बिगाड़ बैठते है ।
💐💐💐💐💐💐💐💐
ज़िन्दगी में बहार है तो

उम्र भी दरकार है

जिंदगी यदि बेजार है तो

उम्र भी बेकार है ।
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
नमस्कार ,शुभ प्रभात मित्रों

7 टिप्‍पणियां:

  1. जिन्दगी में बहार लाने का प्रयास जिंदगी है ...
    अच्छी हैं सभी चार लाइनें ...

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 28 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. सही बात है दिगम्बर जी ,शुक्रियां आपका

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  4. धन्यवाद एवं नमस्कार दिग्विजय जी ,हृदय से आभारी हूँ ।

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  5. जोश में होश

    गवा बैठते है

    बात तभी हम

    बिगाड़ बैठते है ।
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर सटीक सृजन।

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  6. धन्यवाद सुधा जी सादर आभार

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