शुक्रवार, 5 जून 2020

सहेली के सालगिरह पर ..........

मैं तुम्हारी वही
बचपन वाली सहेली हूँ
कभी कही कभी अनकही
कभी सुलझी कभी अनसुलझी सी पहेली हूँ
पर जैसी भी हूँ ,तुम्हारी सच्ची सहेली हूँ ,
वही अधिकार वही प्यार लिए
वही विश्वास वही साथ लिये
साथ तो नही हूँ तुम्हारे
पर फिर भी नही अकेली हूँ
पर जैसी भी हूँ ,तुम्हारी सच्ची सहेली हूँ ,
उम्र में बड़ी हो गई हूँ
पर अब भी छोटी हो जाती हूँ
जब भी तुम संग बातें करती हूं
बचपन को जी जाती हूँ ,
गुड्डे-गुड़ियों वाली बन जाती सहेली हूँ
पर जैसी भी हूँ तुम्हारी सच्ची सहेली हूँ ,
खट्टी -मीठी यादों वाली
कट्टी-बट्टी बातों वाली
छोटी -छोटी इच्छा रखने वाली
छोटे -छोटे सपने बुनने वाली
अहसासों से बंधी हुई कल वाली सहेली हूँ
मैं बहुत हीअलबेली हूँ
पर जैसी भी हूँ ,तुम्हारी सच्ची सहेली हूँ ।
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सखी तुम्हारे सालगिरह पर
क्या दूँ मैं उपहार
हालात ही नही है ऐसे जो
भेज सकूँ कुछ पास
पर ये कैसे हो सकता है
आज न दूँ कुछ उपहार
इसीलिए मैं दे रही
शब्दों का उपहार
इसमे बचपन की यादें है
ढेर सारी दुआएं है
और  बहुत सा प्यार
बड़े प्रेम के साथ इसे
कर लेना तुम स्वीकार
सालगिरह की दूँ बधाई
मै तुम्हे बारम्बार ।

11 टिप्‍पणियां:

  1. खट्टी -मीठी यादों वाली
    कट्टी-बट्टी बातों वाली
    छोटी -छोटी इच्छा रखने वाली
    छोटे -छोटे सपने बुनने वाली
    अहसासों से बंधी हुई कल वाली सहेली हूँ...सखी के लिए बहुत प्यारा तोहफा । अति सुन्दर.. सादर नमस्कार..,

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  2. बचपन की सहेलियों का संग बहुत याद आता है ।

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  3. वाह !सखी बेहतरीन सृजन सखी के लिए.

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  4. शब्दों के उपहार से आगे क्या ... दो मीठे आशा के बोल, अपनत्व का अहसास बहुत है आज ... भावपूर्ण रचनाएँ ...

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  5. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (08-06-2020) को 'बिगड़ गया अनुपात' (चर्चा अंक 3726) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    -रवीन्द्र सिंह यादव


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  6. मित्रता अनमोल उपहार
    बढ़िया रचना

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