शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

उम्मीद.......

जिस उम्मीद के साथ हम

कुछ कहने को जाते है 

उस उम्मीद के साथ हम

लौट कर नही आते हैं  , 

तभी तो उन लोगों से हम

कुछ नहीं कह पाते है 

बात समझने की जगह जो

बात को  बढ़ा जाते है । 


9 टिप्‍पणियां:

  1. वाह संगीता जी, आपको यहाँ पर देख कर बहुत ही खुशी हुई, हृदय से आभारी हूँ आपकी, आपके ब्लॉग पर जाती हूँ मगर कंमेंट बॉक्स नही खुलता है, कुछ लिख नही पाती इस कारण से । नमस्कार

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  2. उत्तर
    1. हार्दिक आभार ज्योति जी, बहुत बहुत धन्यबाद आपका हौसला बढ़ाने के लिए।

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  3. बिलकुल सत्य कहा आपने,लाज़बाब सृजन ,सादर नमन आपको

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  4. अपनों से भी ऐसा ही संवाद होता है जो सोचने पर विवश करता है कि आखिर गलत क्या हुआ । अति सुन्दर कथ्य ।

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  5. बिल्कुल सही कहां होता है मन चाहा संवाद या फिर कौन सुन कर भी सही तथ्य समझे।
    सुंदर सत्य।

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