एक जीत नजर आती है... ......

 है कठिन जमाना लिए दर्द गहरे 

अन्यायों की दीवारों में ,

जख्मो की बेड़िया पड़ी हुई है

परवशता के विचारो में ।

रोते -रोते मोम के आँसू

बदल गये अब सिसकियो में ,

हर दर्द उठाती है मुस्कान

इस बेदर्द जमाने में 

 छिपाये नही छिपते है आंसू

हकीकत के इन आँखों में ,

एक जीत नजर आती है जिंदगी

जीवन के इन हारो में ।

रात को रौशन कर देगी कभी

चाँदनी अपने उजालो में ।

टिप्पणियाँ

कितने भी अंधेरी गलियों से होकर जीवन गुजरा हो और आखिर में किसी भी नन्हें से सुराख से रोशनी आ जाय,तो एक उम्मीद की किरण फूट पड़ती है कि हो न हो आस है,सुबह जरूर आएगी,सार्थक संदेशपूर्ण रचना । आपको मेरा अभिवादन ।
ज्योति सिंह ने कहा…
तहे दिल से शुक्रिया जिज्ञासा, इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए, सही कहा उम्मीद हर तरह से कायम रहना चाहिए, स्नेहयुक्त विचार के लिए हार्दिक आभार, 🥰🙏
Pammi singh'tripti' ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 24 मार्च 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
Anuradha chauhan ने कहा…
एक जीत नजर आती है जिंदगी

जीवन के इन हारो में ।

रात को रौशन कर देगी कभी

चाँदनी अपने उजालो में ।

बेहतरीन रचना।
आलोक सिन्हा ने कहा…
आज पहली बार इस ब्लॉग पर आया हूँ | बहुत अच्छी रचना है | शुभ कामनाएं |
ज़िन्दगी में हार है तो जीत भी है
गर अंधेरा है तो रोशनी भी है
पकड़ कर रखो एक जुगनू उम्मीद का
सिसकियों के बीच कहीं मुस्कान भी है ।
बहुत बढ़िया लिखा ज्योति ।
ज्योति सिंह ने कहा…
संगीता जी हार्दिक आभार आप ही का रहा इंतजार , ये मेरी 9 वी कक्षा की लिखी हुई रचना है,कुछ सुधार की जरूरत हो तो सुधार दीजियेगा, ये बात मै आप ही से कह सकती हूँ, आप मेरी पुरानी ब्लॉगर साथी है,आपके स्वभाव से भी मै अच्छी तरह परिचित हूँ, हिम्मत कर डाल दी ये सोच कर सही कर दी जायेगी , अगर सही रही तो तसल्ली हो जायेगी । बहुत बहुत धन्यबाद , शुभ प्रभात
Sweta sinha ने कहा…
हर रात एक नयी भोर का आगाज़ है
मौन के अंतस में छुपे अनगिनत राज़ है
निराशा,उदासी,अंधेरे की कोख से फूटती
मद्धिम-सी रोशनी ही उम्मीद की आवाज़ है
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प्रिय ज्योति जी,
अपरिपक्व उम्र के खज़ाने में धीरे-धीरे जमा होते -होते वैचारिकी रत्नों का बेशकीमती भंडार और भी समृद्ध हो चुका है।
सुंदर अभिव्यक्ति
सस्नेह
सादर।
Kamini Sinha ने कहा…
"रात को रौशन कर देगी कभी

चाँदनी अपने उजालो में ।"

९ वी कक्षा में इतने गहरे भाव......लाज़बाब सृजन ज्योति जी,सादर नमन आपको

ज्योति सिंह ने कहा…
आपका ब्लॉग नजर नही आया, कोशिश की पर नही खुला तो लौट आई, शेरों शायरी अच्छी रही, मगर कंमेंट बॉक्स न होने के कारण टिप्पणी कर नही पाई, बहुत बहुत धन्यबाद, हार्दिक आभार
ज्योति सिंह ने कहा…
हार्दिक आभार श्वेता जी, आप सभी के अनमोल विचार मनोबल तो बढ़ाते ही है साथ ही लिखने के लिए भी प्रेरित किया करते हैं, आप को सादर नमन, शुभ प्रभात
ज्योति सिंह ने कहा…
हार्दिक आभार कामिनी जी , आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका बहुत बहुत धन्यबाद, शुभ प्रभात
ज्योति सिंह ने कहा…
हार्दिक आभार आलोक जी, आपको रचना पसंद आई , मेरा लिखना सार्थक रहा, नमन, 🙏🙏
ज्योति सिंह ने कहा…
अनुराधा जी तहे दिल से आपका शुक्रिया 👏👏
ज्योति सिंह ने कहा…
हार्दिक आभार पम्मी जी 🙏🙏
Jyoti khare ने कहा…
समय की नब्ज टटोलती
भावपूर्ण रचना
बहुत सुंदर

आग्रह है मेरे ब्लॉग को भी फॉलो करें
आभार
ज्योति सिंह ने कहा…
हार्दिक आभार ज्योति जी
Himkar Shyam ने कहा…
बहुत सुंदर
Amrita Tanmay ने कहा…
बहुत बढ़िया लेखन ।
संदेशपूर्ण रचना ।

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