संदेश

मंजर

जरा ठहर कर देख तो लेते, मंज़र क्या है आगे का ! बहुत जरूरी रहे संभलना , किसको पता इरादों का ! 
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गुमां नहीं रहा जिंदगी का जिंदगी पे अधिकार नही रहा इसीलिए उम्र का अब कोई हिसाब नही रहा , आज है यहाँ , कल जाने हो कहाँ साथ के इसका एतबार नही रहा , मोम सा दिल ये पत्थर न बन जाये हादसो...

सन्नाटा....

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चीर कर सन्नाटा श्मशान का सवाल उठाया मैंने , होते हो आबाद हर रोज कितनी जानो से यहाँ फिर क्यों इतनी ख़ामोशी बिखरी है क्यों सन्नाटा छाया है यहाँ , हर एक लाश के आने पर तुम जश्न मना...

आदमी.....

आदमी जिं दगी के जंगल में अपना ही करता शिकार है , फैलाता है औरो के लिए जाल और फसता खुद हर बार है । .......................

युग परिवर्तन

युग परिवर्तन न तुलसी होंगे, न राम न अयोध्या नगरी जैसी शान . न धरती से निकलेगी सीता , न होगा राजा जनक का धाम . फिर नारी कैसे बन जाये दूसरी सीता यहां पर , कैसे वो सब सहे जो संभव नही यह...

हम.......

हम ........ मै को अकेले रहना था  हम को साथ चलना था एक को खुद के लिए जीना था  एक को सबके लिए जीना था ,  इसलिए सबकुछ होते हुए भी   मै यहाँ कंगाल रहा  कुछ नही होते हुए भी  हम मालामाल रहा ।

आखिर ऐसा हुआ क्यों ?

आखिर ऐसा हुआ क्यो ? सही ही गलत का है हकदार क्यों ? बेगुनाह को ही सजा हर बार क्यों ? गीता और कुरान का मान घटा क्यों ? सच जानते हुए भी झूठ चला क्यों ? यहाँ धर्म और ईमान डगमगाया क्यों ? य...