सोमवार, 8 मार्च 2021

युग परिवर्तन

युग परिवर्तन

न तुलसी होंगे, न राम

न अयोध्या नगरी जैसी शान .

न धरती से निकलेगी सीता ,

न होगा राजा जनक का धाम .

फिर नारी कैसे बन जाये

दूसरी सीता यहां पर ,

कैसे वो सब सहे जो

संभव नही यहां पर .

अपने अपने युग के अनुसार ही

जीवन की कहानी बनती है ,

युग परिवर्तन के साथ

नारी भी यहॉ बदलती है ।

8 टिप्‍पणियां:

  1. सटीक बात । लोग चाहते कि बस नारी सीता जैसी रहे । सार्थक सोच

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  2. गागर में सागर । कह दी सारी बात ।
    अनुपम ।

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  3. नारी के लिए समाज का दृष्टिकोण किसी युग में नहीं बदला।
    बेहतरीन रचना।

    सादर।

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  4. सुंदर सृजन
    शुभकामनाएं

    आग्रह है मेरे ब्लॉग को भी फॉलो करें
    आभार

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  5. युग परिवर्तन के साथ नारी का बदलना जरूरी भी है
    बहुत ही सुन्दर सार्थक सृजन।

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  6. मूल स्वभाव वही रहेगा भूमिकाएं बदलती रहेंगी.

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