बुधवार, 10 मार्च 2021

बचपन की हर तस्वीर.......

बीते दिनो की हर बात निराली लगती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है .

पहली बारिश की बूंदो मे
मिलकर खूब नहाते थे ,
ढेरो ओले के टुकड़ों को
बीन बीन कर लाते थे .

इन बातो मे शैतानी जरूर झलकती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती हैै .

सावन के आते ही झूलें

पेड़ो पर पड़ जाते थे ,

बारिश के  पानी मे बच्चे
कागज की नाव बहाते थे ,

बिना सवारी  की वो नाव भी अच्छी लगती है 
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।

पल में रूठना पल में मान  जाना 
बात बात में मुँह का फूल जाना ,
जिद्द में अपनी बात मनवाना 
हक से सारा सामान जुटाना ,

खट्टी मीठी बातों की हर याद प्यारी लगती है 
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।

कच्ची मिट्टी की काया थी 
मन मे लोभ न माया थी ,
स्नेह की बहती धारा थी 
सर पर आशीषों की छाया थी ,

चिंता रहित बहुत ही मासूम सी जिंदगी लगती है 
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है।

9 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १२ मार्च २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।


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  2. वाह , कितनी प्यारी यादें बचपन की . बहुत सुन्दर भाव .

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  3. बचपन की प्यारी गलियों की सैर करा दी आपने, अब तो ना बचपन वैसा है ना बचपना,सुंदर सृजन सादर नमन आपको

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  4. ख्वाहिशों को अच्छी तरह सहेजा आपने अपनी कविता में...............बहुत सुन्दर .

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  5. बहुत सुंदर भाव 🙏 भोलेबाबा की कृपादृष्टि आपपर सदा बनी रहे।🙏 महाशिवरात्रि पर्व की आपको परिवार सहित शुभकामनाएं

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  6. वह निश्चिंत खेलना खाना ,वह निर्भय फिरना स्वच्छंद,
    कैसे भूला जा सकता है बचपन का अतुलित आनन्द.
    - सुभद्रा कुमारी जी का अनुभव आपके कथन की पुष्टि करता है .

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  7. आप सभी का हार्दिक आभार, हौसला बढ़ाने के लिए शुक्रिया,

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  8. बचपन की सैर करा दी आपने बहुत खूबसूरती से वर्णन किया है

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