शनिवार, 13 मार्च 2021

द्वेष- क्लेश


रिश्तों के आपसी द्वेष ,
परिवार का
समीकरण ही बदल देते है ,
घर के क्लेश से दीवार
चीख उठती है ,
नफरत इर्ष्या
दीमक की भांति ,
मन को खोखला 
करती जाती है
जिंदगी हर लम्हों के साथ
कयामत का इंतजार 
करती कटती है 
और विश्वास चिथड़े से
लिपट कर 
सिसकियाँ भरा करता है 

11 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल सत्य लिखा है आपने ज्योति जी, मनको द्रवित कर जाति हैं ऐसी स्थितियां, हृदय स्पर्शी सृजन..

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  2. मन के भावों को बखूबी लिखा है . मेरी बात को अन्यथा न लेना .... विश्वास पुल्लिंग शब्द है इसके लिए भारती शब्द थोडा खटक रहा है .

    मार्मिक रचना .

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    1. अब सही है संगीता जी, देखकर बताये

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    2. प्रिय ज्योति,
      तुमने मेरी बात को सकारात्मक लिया उसके लिए शुक्रिया । थोड़ा झिझक रही थी लिखते हुए । लेकिन मैंने देखा है अपनी पुरानी पोस्ट पर तुमको तो मालूम है कि तुम मेरी पुरानी पाठक हो । इस लिए मुझे थोड़ा जानती होंगी ।
      अभी ठीक है ये तुमने ऊपर की पंक्तियों से मिलाते हुए स्त्रीलिंग में लिख दिया था । ऐसा मुझे लगता है ।अभी परफेक्ट । 👌👌👌👌👌

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  3. हार्दिक आभार, संगीता जी बहुत बहुत धन्यबाद ,इसी प्रकार मार्गदर्शन करती रही, कभी भी कोई कमी नजर आये बेझिझक बताये और साथ में सुधार भी दे, मैं तो चाहती हूँ, आपलोगो के संगत का मुझे भी फायदा मिले, अच्छा सीख पाऊँ अच्छा लिख पाऊँ,जिससे आप सभी के साथ जुड़ी रहूँ,गलती होना बड़ी बात नही,सही होना बड़ी बात है, आप बहुत अच्छी है ,ये अपनापन यू ही बनाये रहे। कभी कभी गलतियां भी कुछ अच्छा कर जाती है , आज मै बहुत खुश हूँ, ऐसी गलतियों पर नाज है जो जिंदगी को बेहतर बना जाये।

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  4. सही कहा आपने द्वेष क्लेश ईर्षा से रिश्तों में दरारें पीड़ा से जीवन भर जाता है। बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति आदरणीय ज्योति जी।
    सादर

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  5. आपने बिल्कुल सत्य कहा रिश्तो में आपसी द्वेष परिवार के रिश्तो को खत्म कर देता है

    आदरणीय ज्योति जी बहुत ही सुंदर रचना

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