शुक्रवार, 13 नवंबर 2009

तनहा खामोश है ,अपनी महफ़िल में

ये खूबसूरत शमा ,

ढल जायेगी अश्को में लपेटे जिस्म

किसी वक्त गमगीन शमा

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जिंदगी को जिंदगी से है इतना प्रेम

सोचकर सिर्फ़ वो कजा से घबराती है ,

यही वज़ह लिए , परेशानियों में

मौत उसका साथ निभाती है

9 टिप्‍पणियां:

  1. ज्योति जी, बहुत सुंदर रचनाये.
    धन्यवाद

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  2. तनहा खामोश है ,अपनी महफ़िल में
    ये खूबसूरत शमा
    bahut khoob
    achhi rachna

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  3. bahoot achee bhav liya rachna hai ...pareshaai mein mout ka khyaal aksar insaan ko aata hai ...
    gahri abhivyakti hai ..

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  4. मैं दिल से आभारी हूँ आप सभी की ,धन्यवाद

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  5. बहुत सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है !

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