रविवार, 27 दिसंबर 2009

बाँध ले आस जीने की

जा रही है जिंदगी
जी सके तो जी ।

बढ़कर आगे थाम ले
आस जीने की ।

खुशियों के बहाने ही
गम के आंसू पी ।

जा रही है जिंदगी
खुशियों से तू जी ।

हो सके तो दे के जा
सबको कोई ख़ुशी ।

बाँट ले तू बढ़कर
गम के बोझ कही ।

जाएगा जो बांधकर

दिल में नफ़रत यूं ही ।

जी सकेगा न तू

उस जहां में भी ।

कर ले गमो से तू

अब तो दोस्ती ।

बढ़कर के आगे थाम ले

अब ये हाथ भी ।

जिद्द से हो रिहा तू

पायेगा ,यहाँ कुछ नहीं ।

जा रही है जिंदगी

मुस्कुरा कर जी ।

20 टिप्‍पणियां:

  1. जा रही जिन्दगी मुस्करा कर जी ...क्या बात है
    बहुत बढ़िया

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  2. मज़ा आगया इस रचना को पड़ कर |
    वैसे मेरी झोली समक्ष है कुछ गम बांटने के लिए |
    नव वर्ष के आँगन मे ऐसी ही रचनाओ की बरसात हो ऐसे विश्वास के साथ

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  3. bahut khoobsurat panktiyo se jindgi ko acchha margdarshan, utsaah aur khushiya bikherti aapki kavita bahut khoobsurat hai. CLAP CLAP CLAP.

    Thanks for sharing.

    NAV VARSH MANGALMAY HO.

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  4. bhaav bahut sundar hai ..sringar mein kuch kmii si rah gayii yakinan aap iski khoobsurati or baDhaa sakti hai.

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  5. अच्छी कविता। बहुत-बहुत धन्यवाद
    आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  6. मुस्कुरा के जी -आशामय सन्देश की सुन्दर कविता

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  7. बढ़कर आगे थाम ले
    आस जीने की ...

    सुंदर अभिव्यक्ति .......... बहुत खूब कहा है जीना है तो जी लो ... समय तो बीत रहा है ...... निकल जाएगा हाथ से इक दिन ....... नव वर्ष की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएँ मंगल मय हो ...........

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  8. बहुत अच्छी जीवन के सत्य को साथ लिए कविता सच है की जा रही जिंदगी पर अब क्या लें क्या न लें

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  9. जिद से हो रिहा तू
    पायेगा यहाँ कुछ नहीं ....

    सच कहा .....!!

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  10. बहुत खूब, लाजबाब ! नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !

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  11. जा रही जिन्दगी मुस्करा कर जी ...बहुत सुंदर कविता, धन्यवाद

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  12. कविता बहुत सुन्दर और भावपूर्ण है।

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  13. अंतिम पंक्तियों ने खुद ही बहुत कुछ कह दिया है।
    एक बेहतरीन कविता।

    सादर

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