सोमवार, 5 अप्रैल 2010

कुछ बाते ....



सारी रात गुजर गई


लेकर तेरी याद ,


नीँद बेवफा हो गई


देकर तेरा साथ


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जिंदगी यू ही गुजरती है


दर्द के पनाहों में ,


क्षण -क्षण रह गुजर करते है


पले कांटो भरी राहो में


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सुख -दुख के मधुर साजो पर


एक गीत लब्ज गुनगुनाती है ,


एक नई रचना साथ लिए


कागज़ पे कलम ठहर जाती है


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उदासी आँख से हटाओ


हकीक़त में तुम आओ ,


बड़ी बेवफा है ये दुनिया


गमे-राह में भी मुस्कुराओ


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पानी के बहने से पत्थर घिस जाते है


जिंदगानी छूट जाने से लोग भूल जाते है ,


यादो की गिरफ्त इतनी मजबूत होती है


फिर भी यादो को लोग पत्थर सा बना जाते है


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एक बार फिर मैं अपने स्कूल के टाइम की लिखी रचना डाल रही

13 टिप्‍पणियां:

  1. उदासी आँख से तुम हटाओ
    हकीकत में तुम आओ
    बड़ी बेवफा है ये दुनिया
    गेम राह में भी मुस्कुराओ!
    वाह, क्या बात है !

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  2. दिल को छू रही है यह कविता .......... सत्य की बेहद करीब है ..........

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  3. aapkee rachanao me ek ajeeb see chatpatahat dikhtee hai jo mujhe hila jatee hai..............
    Aapkee jholee sada khushiyo se barkarar rahe isee dua ke sath..........

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  4. बहुत अच्छी प्रस्तुति। सादर अभिवादन।

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  5. एक नई रचना के लिए कलम का रुकना हमारी उपलब्धि- है न?

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  6. सारी रात गुजर गई "" जिन्दगी कैसे कटेगी गालिब ,रात कटती नजर नही आती ""जागरण की पीड़ा ।दर्द के साये मे पल पल कांटोभरी राहो मे गुजारना किन्तु फ़िर भी एक प्रेरणा देती रचना कि गम की राह मे मुस्कराते हुये जिओ ।सच है चाहे पत्थर घिस जाये मगर यादे मिटाये नही मिटतीं ।आप ने जो बात साहित्यिक अन्दाज मे कही उसे कोई कोई मज़ाक मे भी कह जाते है ""चार दिन की जिन्दगी है कोफ़्त से क्या फ़ायदा/ खा डबत रोटी ,किलर्की कर , खुशी से फ़ूल जा ""

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  7. सभीरचना ये बहुत सुंदर.
    धन्यवाद

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  8. पानी के बहने से पत्थर घिस जाते है

    जिंदगानी छूट जाने से लोग भूल जाते है ,

    यादो की गिरफ्त इतनी मजबूत होती है

    फिर भी यादो को लोग पत्थर सा बना जाते है ।
    बहुत खूब हर पंक्ति कुछ न कुछ खास कह रही है .

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  9. कागज़ पे कलम ठहर जाती है - सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  10. ये छोटी नज्में बहुत पसंद आयीं....खास तौर पर नींद बेवफा हो गयी तेरा साथ दे कर...

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