शुक्रवार, 25 जून 2010

कौन हो तुम ....?


वक़्त किसी के लिए
ठहरता नही ,
मगर तुम्हे उम्मीद है
कि वो ठहरेगा ,
सिर्फ और सिर्फ
तुम्हारे लिए ,
और इन्तजार करेगा
तुम्हारा ,
बड़ी बेसब्री से
कोई अलभ्य
शख्सियत हो ?
जो रुख हवाओं का
मोड़ रहे हो ?
वर्ना आदमी दौड़कर भी
पकड़ नही पाया
वक़्त को तां - उम्र ,
और तुम बड़े इत्मीनान से
सुस्ता रहे हो

24 टिप्‍पणियां:

  1. वक्त कब ठहरता है भला किसी के लिये!! वक्त को तो पकड़्ना ही पड़ता है.
    सुन्दर रचना

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  2. Waqt ki har shay gulaam,waqt ka har shay raj!
    Bahut sundar likhteen hain aap!

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  3. वाह्……………खूबसूरत रचना।

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  4. वक्त कहाँ कौन पकड़ पाया है? अच्छी अभिव्यक्ति

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  5. वाह....वाह....वाह
    कितने गहरे भाव पेश किए हैं आपने.
    आपकी बेहतरीन रचनाओं में से एक लगी ये कविता.

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  6. सही बात है हम वक्त की क नही कर पात गया वक्त फिर आता नही बहुत सुन्दर शब्दों मे कहानी को बान्धा है धन्यवाद्

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  7. और तुम बड़े इत्मीनान से
    सुस्ता रहे हो ।

    वक्त दौड़ रहा है ...मन भी उसी गति से दौड़ रहा है ...पर पकड़ नहीं पाएगा । जब तक कि खुद न गिर जाए ।

    स्वयं की समय के परिप्रेक्ष्य में अच्छी पड़ताल

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  8. वक्त किसी के लिये नही ठहरता । वक्त को सामने से पकडना है वरना पीछे से तो वह गंजा है ।
    सुंदर रचना ।

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  9. bahut sunder abhivyakti.

    ek jageh aapne tan umr likha he vo shabd tamaam umr hota he mere khayal se.

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  10. बहुत सुन्दर कविता है ज्योति जी, बधाई.

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  11. समय की सही महत्ता दर्शाती बहुत बेहतरीन कविता है

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  12. bahut khub......ek khubsurat rachna!! maine bhi samay par kuchh likha tha ........dekhengeee

    samay ke गति के साथ
    जिसने भी बैठाया ताल-मेल
    सफलता की बुलंदियों पर
    पहुंचा बन कर सुपर मेल
    परन्तु, हम जैसे साधारण लोगो की सोच..?
    हमारे लिए तो ये वही है
    पसेंजेर, वही रलेम-पेल!!!!!!

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  13. hum koi waqt nahi aey humdum, jab bulaoge chale aayenge....

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  14. वक्त किसीके लिए नहीं ठहरता है, जिंदगी को हमेशा इसके साथ होड़ लगानी पड़ती है ...
    बहुत सुन्दर !
    आपकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद ... आप सबका प्यार यूँही बना रहे यही तमन्ना है !

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  15. सहज भाव से कही गयी एक गंभीर बात.

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  16. वाह! बहुत बढ़िया ..
    वक़्त किस के हाथ आया ?

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  17. बहुत ही ऊंची बात कही है आपने। अच्छा दर्शन और आह्वान है इसमें। बहुत सुंदर।

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  18. वक़्त करता जो वफ़ा ...................

    हमें तो कोई उम्मीद ही नहीं वक़्त से संगीता जी ....!!

    अच्छी रचना .....!!

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  19. jyotijee bahut sunder abhivykti vkt kee raftar aur insaan ke attitude ko lekar........
    aabhar

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  20. kuchh aalsi issi tarah, ta-umr intezaar karte hain vaqt ke theherne ka..

    aise aalsi azgaron ko vaqt ki bereham maar ek din sab kuchh sikha deti hai

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  21. समय के साथ साथ चलना पड़ता है ,, नही तो वो छूट जाता है ...

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