हम ........
मै को अकेले रहना था
हम को साथ चलना था
एक को खुद के लिए जीना था
एक को सबके लिए जीना था ,
इसलिए सबकुछ होते हुए भी
मै यहाँ कंगाल रहा
कुछ नही होते हुए भी
हम मालामाल रहा ।
जय माता की ,धन्यवाद ,हृदय से आपकी आभारी हूँ मैं
सार्थक रचना।
धन्यवाद आपका
वाह वाह बहुत खूब।
जब मैं था तब हरि नहीं -- अब हरि हैं मैं नाही प्रेम गली अति सांकरी - टा में दो ना समाहि!!!!!!!!! आपकी रचना पढ़कर यही याद आया | मैं में सब होकर भी कंगाली है और हम में कुछ ना होकर भी खुश हाली है | सुंदर अर्थपूर्ण रचना | सस्नेह हार्दिक शुभकामनायें |
वाह!!!बहुत सुन्दर...
बहुत खूब....भावों की बहुत प्रभावी और सशक्त प्रस्तुति.
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7 टिप्पणियां:
जय माता की ,धन्यवाद ,हृदय से आपकी आभारी हूँ मैं
सार्थक रचना।
धन्यवाद आपका
वाह वाह बहुत खूब।
जब मैं था तब हरि नहीं -- अब हरि हैं मैं नाही
प्रेम गली अति सांकरी - टा में दो ना समाहि!!!!!!!!!
आपकी रचना पढ़कर यही याद आया | मैं में सब होकर भी कंगाली है और हम में कुछ ना होकर भी खुश हाली है | सुंदर अर्थपूर्ण रचना | सस्नेह हार्दिक शुभकामनायें |
वाह!!!
बहुत सुन्दर...
बहुत खूब....भावों की बहुत प्रभावी और सशक्त प्रस्तुति.
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