चीर कर सन्नाटा
श्मशान का
सवाल उठाया मैंने ,
होते हो आबाद
हर रोज
कितनी जानो से यहाँ
फिर क्यों इतनी ख़ामोशी
बिखरी है
क्यों सन्नाटा छाया है यहाँ ,
हर एक लाश के आने पर
तुम जश्न मनाओ
आबाद हो रहा तुम्हारा जहां
यह अहसास कराओ .
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 10/05/2019 की बुलेटिन, " प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की १६२ वीं वर्षगांठ - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
धन्यवाद आपका
सुंदर रचना।
हर एक लाश के आने परतुम जश्न मनाओआबाद हो रहा तुम्हारा जहांयह अहसास कराओ .बहुत खूब....
तुम जश्न मनाओआबाद हो रहा तुम्हारा जहांतारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.
बहुत बहुत धन्यवाद संजय
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6 टिप्पणियां:
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 10/05/2019 की बुलेटिन, " प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की १६२ वीं वर्षगांठ - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
धन्यवाद आपका
सुंदर रचना।
हर एक लाश के आने पर
तुम जश्न मनाओ
आबाद हो रहा तुम्हारा जहां
यह अहसास कराओ .
बहुत खूब....
तुम जश्न मनाओ
आबाद हो रहा तुम्हारा जहां
तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.
बहुत बहुत धन्यवाद संजय
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