कुछ दिल ने कहा
अच्छे को अच्छे बोल देने मे क्या बुराई है
अच्छाई से आखिर हमारी क्या लड़ाई है
ये तो हर दिल को अजीज होती हैं
इसमें ये क्या देखना अपनी है या पराई है ।
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जिस बात के लिए
बहुत सोचना पड़ता है
उस बात को फिर
पीछे छोड़ना पड़ता है ।
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दिमाग वालों से यहाँ
कौन भिड़ता है
वेबकूफ़ों से ही तो
हर कोई लड़ता है।
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सच ही कभी कभी
हमें स्वीकार नहीं होता
आँखों देखे पर भी
हमें विश्वास नहीं होता।
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हर कोई बैठा है इसी इंतजार में
कब सब अच्छा होगा इस संसार में ।
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वक़्त की मांगे करवटें लेती रहती हैं
उम्मीदें बहुत कुछ बदल देती हैं
आगाज से बहुत अलग अंजाम होता है
अंत में सब लकीरों के नाम होता है ।
टिप्पणियाँ
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०३-०४-२०२१) को ' खून में है गिरोह हो जाना ' (चर्चा अंक-४०२५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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अनीता सैनी
मुझे तो लगता कि बेवकूफों से लड़ा नहीं जाता ...बेवकूफ लोग लड़ते हैं ....
वैसे आज दिल क्या तफरीह के मूड में है जो ऐसा कुछ सोच रहा .. :):)
मस्त रहो सवस्थ रहो ...
मूड मूड की बात है
वक्त वक्त की बात है
कभी ओले बरसते हैं
कभी प्यार की बरसात होती हैं।
ऐसे ही किसी मूड में दिल ने ये सभी कह दिया,
ये भी खूब कहा , बेवकूफ लोग लड़ते हैं, मगर अफसोस इसी बात का है वो अपने को बेवकूफ समझते नही है, समझदार को ही बेवकूफ समझते हैं ,आपका आना सुखद रहा, आनंद ही आनंद, बहुत बहुत धन्यबाद
अच्छाई से आखिर हमारी क्या लड़ाई है
ये तो हर दिल को अजीज होती हैं
इसमें ये क्या देखना अपनी है या पराई है ।
अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति ज्योति जी ।
सहज सरल सी अभिव्यक्ति आपकी अंतिम पंक्तियां शानदार सटीक।
"आगाज से बहुत अलग अंजाम होता है
अंत में सब लकीरों के नाम होता है । "
सुंदर सृजन।