ले चल 'खुदा ' मुझे वहां
जहाँ दिल ये सुकूं पाये ।
प्रेम -भावना का आशियाना
हमारी ज़मीं बसाये ,
खुली फिजाओ में बाहे फैलाकर
आजाद खयालो के संग लहराये ।
मेरी तन्हाई , मेरे अरमान
मेरे साथी बन ,
ऊँची उड़ानो के पंख फैलाये ।
8 टिप्पणियां:
aha, kitni vishwaspurna madhur kalpana,kyun na satya ho jaaye?
bahut cute rachna.badhai.
बहुत सुन्दर रचना!
आमीन..... ऐसा ही हो.... लाजवाब लिखा है.
आमीन..... ऐसा ही हो.... लाजवाब लिखा है.
बहुत सुन्दर भाव. बधाई.
ईश्वर आपकी मनोकामना पूर्ण करे............
सुन्दर भावपूर्ण रचना पर हार्दिक बधाई.
aap sabhi logo ko tahe dil se sukhriya .
बढ़िया पोस्ट लगाई है।
मित्रता दिवस पर शुभकामनाएँ।
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